वन विभाग के पिंजरे में फंसा बाघ
नागपुर: पेंच टाइगर रिजर्व के अंतर्गत पवनी (एकसंघ नियंत्रण) वन परिक्षेत्र के मौजा झिंझेरिया गांव में बाघ की दहशत से नागरिक भय में जी रहे थे। हाल ही में टी-114 नामक नर बाघ ने इस क्षेत्र में मनुष्यों समेत मवेशियों पर हमला किया था। इसमें एक वृद्धा और मवेशियों की मौत हो गई थी। एक व्यक्ति गंभीर जख्मी हो गया था। इसके मद्देनजर पेंच टाइगर रिजर्व के उप निदेशक डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला के दिशानिर्देश के अनुसार क्षेत्र में गश्त बढ़ाई गई। आखिरकार वन विभाग की टीम ने आदमखोर बाघ को पकड़ लिया। बाघ के पकड़े जाने के बाद स्थानीय नागरिकों ने चैन की सांस ली।
बता दें कि टी-114 नामक बाघ ने क्षेत्र में एक वृद्धा का शिकार किया था। इसके अगले ही दिन गुरुवार को एक व्यक्ति का शिकार करने के प्रयास में उसे गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। शुक्रवार को इस बाघ ने दोबारा खेत में काम कर रही महिलाओं पर हमला करने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा।
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इसके बाद पिपरिया निवासी राधेश्याम भलावी के बैल को निवाला बनाया। बैल को संरक्षित वनखंड क्र. 255 में खींचकर ले गया। घटना की जानकारी मिलने पर वन विभाग ने क्षेत्र में गश्त बढ़ाई। ट्रैप कैमरों से बाघ पर नजर रखी जा रही थी। इसी बीच वन विभाग के अधिकारियों ने उक्त क्षेत्र में ट्रैप लगाया। मचान के जरिए मृत बैल पर नजर रखी जा रही थी। इसी के साथ पिंजरा भी लगाया गया था।
वन विभाग की टीम ट्रैप लगाकर बैठी थी। इस बीच बाघ शिकार किए हुए बैल को खाने लौटा। आखिरकार वन विभाग की टीम ने बाघ को बेहोश कर पकड़ लिया। बाघ की पहचान टी-114 के रूप में की गई। नर बाघ की उम्र 5 वर्ष बताई गई। स्वस्थ होने के कारण बाघ को होश में लाया गया। इसके बाद उसे गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया।
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पेंच टाइगर रिजर्व के उप निदेशक डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, सहायक वन संरक्षक पूजा लिंगावकर के मार्गदर्शन में वन परिक्षेत्र अधिकारी जयेश तायडे, विवेक राजूरकर, अभिजीत माने, पशुवैद्यकीय अधिकारी मयूर पावशे, निखिल बनगर समेत वन विभाग के कर्मचारियों ने कार्रवाई को अंजाम दिया।