महिला सशक्तिकरण मामले में कोई समझौता नहीं (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Sakshama Program: राज्य में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा तथा उनके सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं और कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो कुछ भी करना आवश्यक है, वह सब किया जाएगा और इसमें किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा। यह कहना है उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का। वे राज्य महिला आयोग द्वारा वनामती में महिलाओं के लिए आयोजित ‘सक्षमा’ कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष एड. राहुल नार्वेकर, विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोहे, महिला एवं बाल विकास मंत्री आदिती तटकरे, राज्यमंत्री मेघना साकोरे-बोर्डीकर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा रूपाली चाकणकर, विधायक मनीषा कायंदे, चित्रा वाघ, विक्रम काले, मंजुला गावित, सना मलिक, आयोग की सदस्य-सचिव नंदिनी आवले तथा आयोग की पूर्व सदस्य नीता ठाकरे उपस्थित थीं।
शिंदे ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार ने कठोर कानून बनाए हैं और इन कानूनों की जनजागृति बहुत आवश्यक है। अत्याचार की कई घटनाएं आज भी सामने आती हैं। एक ओर महिलाओं को सक्षम बनाने के प्रयास जारी हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को कलंकित करने वाली घटनाएं भी होती रहती हैं। इसलिए केवल कानून बनाकर काम नहीं चलेगा, बल्कि समाज में जागरूकता पैदा करना भी उतना ही जरूरी है। राज्य के हर हिस्से में महिला आयोग के ‘सक्षमा’ जैसे जनजागृति कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष एड. राहुल नार्वेकर ने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, ऐसे में उनके असुरक्षित होने की कल्पना भी दुखद है। केंद्र और राज्य सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और कानूनों में भी बदलाव किए गए हैं। ये कानून और इनके प्रावधान महिलाओं तक पहुंचने चाहिए।
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महिला एवं बाल विकास मंत्री आदिती तटकरे ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राज्य महिला आयोग का कार्य सराहनीय है। ‘सक्षमा’ कार्यक्रम के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने का प्रयास किया जाएगा। महिलाओं को अपने अधिकारों और मौजूदा कानूनों की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। आयोग अध्यक्षा रूपाली चाकणकर ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।