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महाराष्ट्र टाउन प्लानिंग संशोधन अधिनियम 2025 पर हाई कोर्ट की सख्ती, सरकार से जवाब तलब

Urban Development Department Maharashtra: महाराष्ट्र टाउन प्लानिंग संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को नागपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Dec 19, 2025 | 11:06 AM

हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

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Local Bodies Rights: महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए पूर्व पार्षद प्रफुल्ल गुड्धे की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने राज्य सरकार के नगर विकास विभाग और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता स्वप्नजीत सन्याल ने कहा कि 2025 के संशोधन महानगरपालिकाओं और महानगर योजना समितियों को संविधान के अनुच्छेद 243W और 243ZE के तहत प्राप्त नियोजन अधिकारों पर एक तरह से अतिक्रमण है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि नए स्ट्रक्चर प्लान और राज्य-निर्देशित स्थानीय क्षेत्र प्लान तंत्र राज्य स्तर पर एक समांतर नियोजन प्राधिकरण बनाते हैं जिससे स्थानीय स्वायत्तता कम होती है और यह भी कहा गया है कि कुछ अनिवार्य प्रावधान जैसे किफायती आवास के लिए आरक्षण, अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

‘स्ट्रक्चर प्लान तंत्र’ नामक नई प्रणाली

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि संशोधनों ने राज्य स्तर पर एक समानांतर नियोजन प्राधिकरण को जन्म दिया है जिसमें ‘स्ट्रक्चर प्लान तंत्र’ नामक नई प्रणाली बनाई गई है जो क्षेत्रीय और विकास नियोजन में स्थानीय निकायों और एमपीसी की भूमिका को ओवरराइड करती है। धारा 33ए के तहत राज्य-प्रेरित ‘स्थानीय क्षेत्र योजना’ प्रणाली शुरू की गई है।

जो सरकार को नियोजन प्राधिकरणों को सीधे निर्देश देने में सक्षम बनाती है जिससे स्थानीय स्वायत्तता कमजोर होती है। संशोधित धारा 61(2) राज्य को डिफॉल्ट रूप से टाउन प्लानिंग योजनाओं को अपने हाथ में लेने का अधिकार देती है जिससे नियोजन प्राधिकरणों के विवेकाधीन क्षेत्र सीमित हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें – नागपुर मनपा चुनाव: भाजपा अपने दम पर, महायुति लगभग टूटी! बैठक केवल औपचारिकता

भूस्वामियों के सम्पत्ति अधिकार भी प्रभावित

याचिका में यह भी कहा गया है कि ये संशोधन भूस्वामियों के संपत्ति अधिकारों को प्रभावित करते हैं। धारा 22(a) में ‘किफायती आवास सहित’ को जोड़ने से भूस्वामियों को विशिष्ट जोनिंग और उपयोग दायित्वों को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया है। ऐसे में इन संशोधनों को निरस्त करने और गैर कानूनी करार देने के आदेश का अनुरोध भी याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से किया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया।

Maharashtra town planning amendment high court case nagpur

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Published On: Dec 19, 2025 | 11:06 AM

Topics:  

  • High Court
  • Maharashtra
  • Nagpur
  • Nagpur News

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