नागपुर महानगर पालिका (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Nikay Chunav: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद चुनाव आयोग द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर शुरू की गई प्रक्रिया के अनुसार अब 22 अगस्त को प्रारूप प्रभाग रचना की घोषणा होने जा रही है। हालांकि 23 अगस्त को छोटा पोला है किंतु इसके एक दिन पहले ही चुनाव लड़ने के इच्छुकों के लिए प्रभाग रचना का ‘पोला’ फूटने जा रहा है।
नई प्रभाग रचना घोषित होने के कारण न केवल सत्तापक्ष बल्कि विपक्ष सहित तमाम इच्छुक स्थानीय नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं। बहरहाल प्रारूप प्रभाग रचना के अनुसार किसके लिए प्रभाग सकारात्मक होगा और किसके लिए नकारात्मक, इसे लेकर अभी से अटकलें शुरू हो गईं।
लंबे समय से चुनाव नहीं होने के कारण सूने पड़े मनपा के गलियारों में भी गुरुवार को कुछ हलचल देखी गई जिसमें न केवल राजनीतिक दल से जुड़े बल्कि प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी नई प्रारूप प्रभाग रचना को लेकर चर्चाओं में व्यस्त दिखाई दिए।
आगामी महानगरपालिका चुनाव के लिए 22 अगस्त को घोषित होने वाली प्रारूप प्रभाग रचना ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। नये प्रभागों की सीमाएं तय होते ही नागपुर के परंपरागत चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कई वरिष्ठ पार्षदों और नेताओं के गढ़ प्रभावित हो सकते हैं। सीमाओं में बदलाव से जहां कुछ वार्डों में दलों को नया आधार मिलेगा वहीं कुछ क्षेत्रों में उनकी पकड़ कमजोर भी हो सकती है।
खासकर वे प्रभाग जहां पिछली बार बहुमत से विजय मिली थी, वहां अब विपक्षी दलों को नया अवसर मिल सकता है किंतु अंदरखाने दबी आवाज में यह भी चर्चा है कि राज्य में जिसकी सत्ता होती है, प्रभाग रचना पर उसका असर दिखाई देता है जिससे वर्ष 2017 के प्रारूप प्रभाग रचना में बहुत कुछ परिवर्तन होने की उम्मीद कम है।
जानकारों के अनुसार भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (दोनों गुट) जैसे प्रमुख दलों के स्थानीय नेतृत्व ने आंतरिक बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। हर दल इस आकलन करने में जुटा है कि नये प्रभागों का जातीय और भौगोलिक समीकरण किसके पक्ष में जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा सत्ता में होने के कारण नये क्षेत्रों में संगठनात्मक विस्तार का लाभ ले सकती है लेकिन पुराने गढ़ों के विभाजन से चुनौती भी झेलनी पड़ सकती है। वहीं कांग्रेस पारंपरिक मतदाता वर्ग वाले इलाकों में प्रभाग के पुनर्गठन से मजबूती पा सकती है, जबकि अन्य छोटे दल और रिपब्लिन पार्टी जैसे दलों के उम्मीदवार भी नये प्रभागों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करेंगे।
बताया जाता है कि 22 अगस्त से मनपा के सभी जोनल कार्यालयों में प्रारूप प्रभाग रचना को जनता के लिए लगाया जाएगा। नागरिकों से 28 अगस्त तक आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं जिसके बाद 29 अगस्त से 8 सितंबर तक आपत्तियों पर सुनवाई होगी।
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सुनवाई के बाद ही प्रभाग रचना को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा। अंतिम रूप से रचना तय होने के बाद ही दलों की चुनावी बिसात स्पष्ट होगी। फिलहाल सभी की निगाहें 22 अगस्त की घोषणा पर टिकी हुई हैं क्योंकि यही आगामी मनपा चुनाव की राजनीतिक दिशा तय करेगी।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार भले ही कुछ पूर्व पार्षदों के लिए नई प्रभाग रचना में कुछ खास परिवर्तन न हो लेकिन प्रभाग रचना के बाद 50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षण, इसमें भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं तथा पुरुषों के लिए आरक्षण निकाला जाएगा।
हाल ही में कोर्ट के फैसले के बाद अब ओबीसी का आरक्षण भी तय होना है जिससे कई प्रभागों में आरक्षण निश्चित ही समीकरण बदल सकते हैं जिससे फिलहाल कुछ पूर्व पार्षद भले ही प्रभाग रचना उनके लिए सकारात्मक देख रहे हो किंतु अभी भी चुनाव काफी दूर है जिसके लिए काफी पड़ाव पार करने होंगे।