पशुपालन, डेयरी फार्मिंग और मत्स्यपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन और लाखों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने आज यहां कृषि से संबंधित क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों से देश और समाज के विकास में अद्वितीय योगदान देने की अपील की। महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह सेमिनरी हिल्स स्थित पशु चिकित्सा महाविद्यालय के सिल्वर जुबली हॉल में आयोजित किया गया। इस वक्त वह बोल रहे थे।
विश्वविद्यालय की प्रो-कुलपति एवं पशुपालन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री पंकजा मुंडे, प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ. अनिल काकोडकर, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवारे, पशुपालन, डेयरी विकास, मत्स्य पालन विभाग के सचिव रामास्वामी एन., एमएएएसयू के कुलपति डॉ. नितिन पाटिल, शिक्षा निदेशक एवं डीन (पशु चिकित्सा विज्ञान) डॉ. शिरीष उपाध्याय, इस अवसर पर निदेशक रजिस्ट्रार मोना ठाकुर सहित अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थियों के अभिभावक उपस्थित थे।
राज्यपाल ने आगे कहा कि समाज को भी हमसे अपेक्षाएं हैं। उपस्थित विद्यार्थियों की लगन और उत्साह को देखकर आपका योगदान निश्चित रूप से सराहनीय होगा। देश को 2047 तक विश्व में नंबर एक बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा करने में आपका योगदान महत्वपूर्ण होगा। हमें परिणाम की आशा किये बिना अपना काम करते रहना चाहिए। कड़ी मेहनत करते रहो। यही अर्थ भगवद्गीता में भी कहा गया है। धैर्य के बिना सफलता का मार्ग प्रशस्त नहीं होता। कॉलेज से स्नातक होना अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है। आने वाले दिनों में हमें और भी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। स्नातक होने के बाद चुनौतियाँ अलग होती हैं। राज्यपाल ने कहा कि इसका दृढ़ता से सामना करने की जरूरत है।
महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय न केवल अपने उत्कृष्ट संकायों के कारण प्रतिष्ठित है, जो पशु चिकित्सा विज्ञान, डेयरी प्रौद्योगिकी और मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में छात्रों को शिक्षित करता है, बल्कि महाराष्ट्र भर में फैले 10 से अधिक घटक कॉलेजों के साथ अग्रणी बना हुआ है। इसके अलावा, राज्यपाल ने कहा कि किसानों और हितधारकों को आधुनिक तकनीकों की जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए हाल ही में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से विश्वविद्यालय अधिक सक्षम और प्रभावी हो गया है।
विश्वविद्यालय की प्रो-कुलपति तथा पशुपालन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री पंकजा मुंडे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। राज्य में सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर कोंकण तट और विदर्भ तथा मराठवाड़ा के विशाल मैदानों तक समृद्ध जैव विविधता फैली हुई है। विश्वविद्यालय के स्नातक राज्य और देश के पशु संसाधनों, डेयरी उद्योग और मछली जैव विविधता के सच्चे संरक्षक हैं। विज्ञान के प्रसार के साथ-साथ इसका उद्देश्य किसानों, ग्रामीण युवाओं और महिलाओं जैसे अंतिम लाभार्थियों तक पहुंचना है। इस अवसर पर मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि आपका ज्ञान और सीखा हुआ कौशल समाज और राज्य के लिए महत्वपूर्ण ताकत साबित होना चाहिए।
ग्रामीण समृद्धि का मतलब सिर्फ अच्छी सड़कें और बिजली नहीं है, बल्कि इसका मतलब टिकाऊ आजीविका, आर्थिक आत्मनिर्भरता और यह सुनिश्चित करना भी है कि हर परिवार को अच्छा पोषण और सम्मानजनक जीवन स्तर प्राप्त हो। इस संबंध में पशुधन क्षेत्र की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, मत्स्य पालन, बकरी पालन और भेड़ पालन केवल व्यवसाय नहीं हैं, वे लाखों लोगों की आजीविका हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल काकोडकर ने इस अवसर पर कहा कि यदि हम इस क्षेत्र को मजबूत करेंगे तो ग्रामीण भारत स्वतः ही मजबूत हो जाएगा।
समारोह में कुल 703 स्नातकों को डिग्री प्रदान की गई। जिसमें पशु चिकित्सा विभाग के 380 स्नातक छात्र, मत्स्य विज्ञान विभाग के 57 स्नातक छात्र, डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग के 53 स्नातक छात्र, पशु विज्ञान विभाग के 205 स्नातकोत्तर छात्र, डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग के 1 स्नातकोत्तर छात्र और पशु विज्ञान विभाग के 7 स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं। दीक्षांत समारोह में छात्र साहिल को सबसे अधिक नौ पदक मिले। नागपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र साहिल ने कुल 6 स्वर्ण और 3 रजत पदक जीते। दीक्षांत समारोह में मेधावी स्नातकों को 30 स्वर्ण पदक, 08 रजत पदक और 1 नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।