काटोल में किसान ने सोयाबीन को लगाई आग (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Farmer: नागपुर जिले के कटोल तहसील के मौजा चिखलागड में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां एक किसान ने अपनी मेहनत से उगाई गई सोयाबीन की फसल की गंजी (फसल का ढेर) स्वयं आग लगाकर जला दी। उत्पादन में हुई भारी हानि और फसल की खराब गुणवत्ता से निराश होकर किसान ने यह कदम उठाया।
मिली जानकारी के अनुसार,मूर्ति, तहसील कटोल निवासी किसान ज्ञानेश्वर देवराव सातपुते की कुल 1 हेक्टेयर 90 आर कृषि भूमि चिखलागड़ शिवार में स्थित है। इस खेत में उन्होंने सोयाबीन की बुआई की थी। शुरुआत में फसल की बढ़त अच्छी रही थी, लेकिन पोला पर्व के बाद मौसम में लगातार बदलाव, अनवरत वर्षा और रोगों के प्रकोप से फसल की हालत बिगड़ने लगी।
फसल पर फफूंद तथा अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ने के कारण सोयाबीन की फलियां ठीक से नहीं भर पाईं। इसके बावजूद सातपुते ने यह उम्मीद रखते हुए कि कुछ उत्पादन मिलेगा, मजदूरों से कटाई करवाई। इसके लिए उन्होंने करीब 15 हजार रुपये खर्च कर फसल की कटाई और गंजी (ढेर) तैयार कराया।
किसान सातपुते ने जब सोयाबीन की गंजी में से फली तोड़ीं, तो पाया कि अंदर दाने ही नहीं हैं। निराशा बढ़ी तो उन्होंने हार्वेस्टर से सोयाबीन दाखल (थ्रेशिंग) करने की लागत का अनुमान लगाया, जो करीब 6000 रुपये थी। उत्पादन इतना कम था कि हार्वेस्टर का खर्च भी निकलना संभव नहीं था। अंततः लंबे विचार-विमर्श के बाद सातपुते ने शुक्रवार को अपने खेत में रखी सोयाबीन की गंजी को आग लगा दी। उनकी मेहनत की सारी फसल कुछ ही मिनटों में राख बन गई।
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किसानों का कहना है कि लगातार बदलते मौसम, समय पर कीटनाशक प्रभाव न दिखना और बार-बार होने वाली बारिश के कारण इस साल कई किसानों की सोयाबीन फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। क्षेत्र के किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि ऐसे नुकसान झेलने वाले किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि वे आगामी सीजन में फिर से खेती के लिए खड़े हो सकें।
फसल खराब होने और बढ़ते कर्ज से किसान परेशान है। यदि सरकार की ओर से जल्द आर्थिक मदद नहीं मिली तो आत्महत्या ही अंतिम विकल्प रहेगा। लगातार बारिश और कीट रोगों से फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। सरकार से तत्काल मुआवजा दे अन्यथा आत्मघाती कदम उठाना पड़ेगा।