झांसी रानी चौक (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)
Jhanshi Rani Chowk : झांसी रानी चौक ‘एक्सपेरिमेंट जोन’ बन गया है। यू-टर्न मारना हो, सड़क पर वाहन पार्क करना हो या फिर फुटपाथ पर ही ठेला लगाकर दुकानदारी करनी हो- सब कुछ इस एक ही चौक पर देखने को मिल जाता है। इतना ही नहीं, मुख्य मार्ग का ‘ऑटो स्टैंड’ बन जाना भी सामान्य सी बात है। हर आते-जाते लोगों को यह दृश्य आकर्षित करता है। यह अलग बात है कि पैदल चलने वाले, वाहनों पर चलने वाले परेशान जाते हैं और उन्हें अच्छी खासी ‘कसरत’ करने के लिए मजबूर होता पड़ता है। कसरत इसलिए कि ‘ट्रैफिक’ वाले सक्रिय नहीं रहते हैं। वे साइड में रहते जरूर हैं लेकिन ‘ड्यूटी’ निभाने में कहीं न कहीं पिछड़ जाते हैं।
झांसी रानी चौक एक ऐेसा चौक है जिसके हर कोने पर ‘कब्जा’ है। सभी ओर जाने वाले ऑटो आसानी से मिल जाते हैं। सबसे पहले फुटपाथ पर कब्जा। कब्जे के आगे ऑटो का कब्जा और उसके बाद ठेले वालों का कब्जा कुछ अलग ही नजारा पेश करता है। इस चौक से कोई भी वाहन ‘लेफ्ट’ नहीं जा सकता। यह अलग बात है कि आज के दौर में ‘लेफ्ट’ नहीं बचे हैं। शायद उसी से प्रेरित होकर ऑटो वालों ने कब्जा कर लिया हो।
बस स्टैंड और अब मुंजे चौक पर मेट्रो स्टेशन होने के कारण लोगों का आना-जाना दिनभर चलता रहता है। हजारों की संख्या में लोग इधर से उधर और उधर से इधर सड़क पार करते हुए देखे जा सकते हैं। चूंकि फुटपाथ, जेब्रा क्रॉसिंग तक ‘कब्जा’ है, इन्हें बीच सड़क से ही आना- जाना करना पड़ता है। बुजुर्गों के लिए किसी ‘खेल’ से कम नहीं है। सांप सीढ़ी खेलते हुए उन्हें ‘मंजिल’ तक पहुंचना सामान्य सी बात हो गई है।
चारों ओर सैकड़ों ऑटो और हाथ ठेले दिनभर लगे रहते हैं। हर आते- जाते को परेशान तक करते हैं। कई बार हाथ खींचकर ऑटो के अंदर बैठाने का प्रयास तक कर लेते हैं परंतु प्रशासन को यह सब कभी दिखाई नहीं देता। वाहनों का यू-टर्न लेना तक मुश्किल हो जाता है। इसके साथ जाम की स्थिति हो जाती है। बसें भी यहीं से टर्न लेती हैं। कुल मिलाकर यह चौक मक्कड़जाल की तरह बन गया है।
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लोगों की परेशानी को देखते हुए ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है लेकिन कार्यप्रणाली को देखकर कभी यह महसूस नहीं हुआ कि इस चौक को लेकर प्रशासन ने कभी गंभीरता भी दिखाई हो। गंभीरता दिखाई होती तो निश्चित रूप से सुधार देखने को मिलता लेकिन यहां पर दिनोंदिन स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। भले ही आला अधिकारी ने यहां के लिए नियुक्ति की हों लेकिन वे कहां रहते हैं और क्या करते हैं, यह किसी को दिखाई नहीं देता। इसी से मनमानी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।