गिद्ध (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र सरकार गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है। 12 अगस्त को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में राज्य में दुर्लभ पौधों के संरक्षण और संरक्षण पर जोर देने का निर्देश देते हुए ऊदबिलाव (otter), गिद्ध और जंगली भैंस के प्रजनन केंद्र को मंजूरी दी थी। वर्षा निवास पर हुई वन्यजीव बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
इसी कड़ी में अब महाराष्ट्र के नागपुर जिले के अंतर्गत आने वाले पेंच बाघ अभयारण्य में लुप्तप्राय गिद्धों के संरक्षण के लिए शनिवार को एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई। एक अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम का नाम ‘जटायु ग्राम मित्र’ है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लुप्तप्राय पक्षियों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के के लिए पशुओं के शवों को निर्धारित स्थानों पर ही रखेंगे।
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पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के उप निदेशक प्रभुनाथ शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में कहा कि ‘‘पेंच टाइगर रिजर्व, मुंबई के बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के सहयोग से गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण और पुनरुद्धार की दिशा में काम कर रहा है।” कार्यक्रम के तहत गिद्धों की रक्षा के लिए ‘डंपिंग स्थान’ की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा। इस पहल के तहत गांव के बाहर घने जंगल वाले इलाकों में विशेष ‘डंपिंग साइट्स’ निर्धारित की जाएंगी, जहां गिद्धों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मृत जानवरों को रखा जा सके।
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बता दें कि अगस्त में हुई बैठक के दौरान पेंच में ऊदबिलाव, नासिक में गिद्ध और गडचिरोली में जंगली भैंसा प्रजनन केंद्र स्थापित करने पर चर्चा की गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये केन्द्र दुर्लभ वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उपयोगी होंगे। गांवों में जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट करने पर तत्काल प्रतिक्रिया स्वरूप टीम की नियुक्ति करते हुए वनपाटिल को भी नियुक्त किया जाए।