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नागपुर. नंदनवन थाना अंतर्गत बहुचर्चित 5 लोगों की हत्या के मामले में निचली अदालत ने विवेक पालटकर को फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे चुनौती देते हुए जहां आरोपी की ओर से अपील दायर की गई, वहीं फांसी पर मुहर के लिए सरकार की ओर से भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई. दोनों अर्जियों पर एकसाथ सुनवाई की जा रही है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के समक्ष पुणे की येरवडा जेल अधीक्षक द्वारा भेजे गए पत्र को प्रस्तुत किया गया.
अधीक्षक ने कहा कि मामले की 25 अक्टूबर को सुनवाई रखी गई है. किंतु पुणे से नागपुर की दूरी को देखते हुए फांसी के इस आरोपी को सुनवाई के दौरान हाजिर रखना संभव नहीं है. ऐसे में आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आरोपी को उपस्थित करने की अनुमति देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश एम.डब्ल्यू. चांदवानी ने आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रखने के आदेश दिए. राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील संजय डोईफोड़े ने पैरवी की.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि 22 जून 2018 को हुई वारदात के बाद से आरोपी जेल में सड़ रहा है. जिस पर अदालत ने आरोपी के बर्ताव को लेकर अधीक्षक को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि आरोपी ने अपने बेटे, सगी बहन, जीजा, बहन की सास और भांजी को मौत के घाट उतार दिया था. जिस पर 5 वर्षों तक निचली अदालत में चली सुनवाई के बाद अदालत ने निर्मम हत्या के लिए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी. अदालत का मानना था कि भले ही आरोपी ने 5 लोगों की हत्या की हो लेकिन इस हत्या से आरोपी की बेटी और भांजी का जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ऐसे में यह 7 हत्या जैसा मामला है.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में कुल 29 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. विवेक की बेटी और भांजी इस प्रकरण में चश्मदीद गवाह थे. दोनों को कोर्ट में 2 बार पेश किया गया. जहां दोनों बच्चियों ने पूरे साहस के साथ विवेक की हैवानियत बयान की. उनकी गवाही इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हुई. उनके अलावा पवनकर परिवार के पड़ोसी दम्पति की गवाही भी महत्वपूर्ण साबित हुई थी. जिसके आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई.






