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नागपुर. जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से 4 फरवरी को 10 रेत घाटों की नीलामी हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी. इन 10 घाटों में से 7 का वैज्ञानिक अध्ययन नहीं कराया गया. नियम और कानून के अनुसार वैज्ञानिक अध्ययन के बिना रेत घाटों की नीलामी अपराध की तरह है. अत: इसके खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पुणे बेंच में याचिका दायर की गई. याचिका पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने नागपुर जिले के सभी रेत घाटों की जांच एवं पर्यावरणीय वैधानिक पूर्तियों के लिए जरूरी जिला सर्वे रिपोर्ट की जांच हेतु 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया. एनजीटी द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार अब रेत घाटों की नीलामी में हुई अनियमतता की जांच होगी.
एनजीटी द्वारा गठित कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 1-1 सदस्य तथा अन्य विभाग का एक सदस्य होगा. कमेटी रेत घाटों का वास्तविक निरीक्षण करेगी. साथ ही पर्यावरणीय वैधानिक अनुमतियों हेतु आवश्यक दस्तावेज में अनियमितताओं की जांच करेगी. जांच के बाद कमेटी एनजीटी को रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद अगले आदेश जारी किए जाएंगे. याचिकाकर्ता की ओर से एनजीटी को बताया गया कि वर्ष 2020-21 में 22 रेत घाटों की नीलामी हुई थी. इसमें भी भारी पर्यावरणीय विसंगतियां थीं. 13 रेत घाटों की नीलामी करने से पूर्व तैयार होने वाले डीएसआर से पहले आवश्यक साइंटिफिक रिप्लेसमेंट स्टडी नहीं की गई, जबकि इस संदर्भ में न केवल एनजीटी ने बल्कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार आदेश जारी किए हैं.
रेत घाट की नीलामी का मसला हमेशा ही विवादों में रहा है. यहां तक कि हाई कोर्ट में भी इस संदर्भ में कई याचिकाएं दायर हुईं. अब पुन: जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से आमंत्रित निविदाओं को लेकर एनजीटी द्वारा संज्ञान लिए जाने से अधिकारी और रेत ठेकेदारों पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक गई है. सूत्रों के अनुसार रेत घाट नीलामी की जिम्मेदारी संभालने वाले जिलाधिकारी कार्यालय के खनिज विभाग द्वारा लापरवाही से डीएसआर बनाया गया. इसी आधार पर गत वर्ष नीलामी की गई. साथ ही इस वर्ष 10 घाटों की नीलामी का निर्णय लिया गया. एनजीटी ने जिलाधिकारी, जिला खनिज अधिकारी और खनिज विभाग के संचालक को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.