प्रशिक्षण और प्रस्तुतियों हेतु छोटे-छोटे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करना आवश्यक है। यह बात अखिल भारतीय मराठी नाट्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. जब्बार पटेल ने उद्घाटन समारोह में जोर देकर कही।
100 वें अखिल भारतीय मराठी नाट्य सम्मेलन का उद्घाटन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
डिजिटल युग में तकनीक में हो रहे तीव्र परिवर्तन ने नाटक, नृत्य जैसी प्रदर्शन कलाओं को गहराई से प्रभावित किया है। ऐसी परिस्थिति में, आर्थिक तंगी से जूझ रहीं नाट्य संस्थाओं के लिए प्रशिक्षण और प्रस्तुतियों हेतु छोटे-छोटे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करना आवश्यक है। यह बात अखिल भारतीय मराठी नाट्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. जब्बार पटेल ने उद्घाटन समारोह में जोर देकर कही।
शनिवार को कविवर्य सुरेश भट सभागार में उद्घाटन के दौरान डॉ. पटेल संबोधित कर रहे थे। अपने भाषण में डॉ. पटेल ने कहा, ‘नाटक एक अद्भुत कला है, जिसमें कलाकार अपनी सशक्त अभिव्यक्ति से मंच को जीवंत कर देते हैं।’ उन्होंने नई पीढ़ी से आधुनिक तकनीकों को अपनाने और विभिन्न भाषाओं में हो रहे नाटकों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की अपील की।
समारोह में सुप्रसिद्ध अभिनेता शाहबाज खान, विधायक अभिजीत वंजारी, पद्मश्री डॉ. परशुराम खुणे, शलाका पवार, सागर कारंडे, भारत गणेशपुरे समेत अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के कई पदाधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत पहलगाम में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात, मनीष पाटिल की ब्लॉसम डांस अकादमी के बाल कलाकारों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली गणेश वंदना प्रस्तुत की। इस दौरान 'संचित' नामक गौरव विशेषांक का विमोचन भी मान्यवरों द्वारा किया गया।
विधायक अभिजीत वंजारी ने कहा कि यदि लोक कलाकारों और लेखकों को उचित मानधन दिया जाए, तो उनकी आर्थिक स्थिति में निश्चित सुधार होगा। उन्होंने नागपुर में रंगकर्मियों के लिए स्थायी सभागार और प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता पर बल दिया तथा कलाकारों के मानधन में वृद्धि के लिए सरकार से बैठक की मांग की।
कार्यक्रम का संचालन अभिनेत्री भार्गवी चिरमुले ने कुशलता से किया, जबकि धन्यवाद प्रस्ताव नरेश गडेकर द्वारा किया गया। उद्घाटन समारोह के दौरान हास्य कलाकार भाऊ कदम, सागर कारंडे, भारत गणेशपुरे, रोहिणी निनावे, मनीषा कोरडे, विनोद देशपांडे, पराग भावसार, अभिजीत जोशी, गिरीश वेलंकीवार, देवेंद्र दोडके, राजेश चिटणीस, दीप्ती खर्डेनवीस सहित कई कलाकारों को सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शुभकामनाएं: पहलगाम की दुखद घटना के चलते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने पत्र के माध्यम से सम्मेलन को अपनी शुभकामनाएं भेजीं और कहा कि यह सम्मेलन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
डॉ. जब्बार पटेल ने कहा-छोटे सांस्कृतिक केंद्रों की दरकार: नागपुर के मूल निवासी अभिनेता शाहबाज खान ने अपने बचपन की यादें साझा करते हुए बताया कि उन्होंने मराठी नाटक ‘तो मी नव्हेच’ से अपने अभिनय सफर की शुरुआत की थी।
लोक कला से सजी शोभायात्रा: गांधी गेट से कविवर्य सुरेश भट सभागार तक पारंपरिक ढोल, ताशा, लेझीम, गुलाबी फेटे और रंग-बिरंगी लोक कलाओं के साथ एक भव्य नाट्य शोभायात्रा निकाली गई। इसमें वासुदेव, पोतराज, पिंगला, दशावतार, गोंधळी जैसी पारंपरिक लोक कलाओं का जोशपूर्वक प्रदर्शन हुआ।
सम्मेलन के दौरान सभागार के प्रवेश द्वार पर स्वर्गीय गणेश नायडू कला भवन का उद्घाटन भी किया गया। इस भवन में मराठी रंगभूमि के महान कलाकारों की यादगार चित्रकला का विशेष रूप से प्रदर्शन किया गया। अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के 100वें विभागीय सम्मेलन में मराठी रंगभूमि के समृद्ध इतिहास और युवा कलाकारों की आशाओं का एक भव्य संगम देखने को मिला।