राज्य सरकार को हाई कोर्ट की कड़ी फटकार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
High Court: नागपुर जिला परिषद के स्कूलों में कार्यरत विशेष शिक्षकों को हर माह समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण शिक्षिका चित्रा मेहर और अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर सुनवाई के बाद विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन का भुगतान न करने और गलत व्याख्या के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। न्या. अनिल पानसरे और सिद्धेश्वर ठोंबरे ने आदेश का पालन न होने पर स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग के सचिव का वेतन रोकने की चेतावनी दी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वेतन से जुड़ीं समस्याओं और आर्थिक तंगी के कारण एक याचिकाकर्ता शिक्षक ने आत्महत्या कर ली थी। वह इस ‘लापरवाह आचरण’ के लिए उक्त शिक्षक के परिवार को मुआवजा देने पर विचार करेगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आनंद परचुरे और अधिवक्ता प्रदीप वाठोरे, केंद्र की ओर से अधिवक्ता मुग्धा चांदुरकर और राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता कल्याणी मारपकवार ने पैरवी की।
राज्य सरकार ने दलील दी कि विशेष शिक्षकों का वेतन 25,000 रुपये प्रति माह पर सीमित है क्योंकि केंद्र सरकार ने यही सीमा तय की है और इसमें केंद्र और राज्य का हिस्सा क्रमश: 60% और 40% है। जिस पर अदालत ने सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज (ड्राफ्ट दस्तावेज) का अवलोकन करते हुए कहा कि सरकार की यह समझ पूरी तरह से गलत है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि दस्तावेज के अनुसार वेतन संरचना राज्य के मानदंडों के अनुसार तय की जानी है। 25,000 रुपये की सीमा शिक्षकों के कुल वेतन पर नहीं बल्कि माध्यमिक शिक्षकों के लिए केंद्र सरकार के योगदान पर है। अदालत ने सचिव रैंक के एक अधिकारी द्वारा सादे और सरल भाषा वाले दस्तावेज को पढ़ने में असमर्थता पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि इसी गलतफहमी के कारण पिछले 7 वर्षों से शिक्षकों को उनका उचित वेतन नहीं मिला।
अदालत को बताया गया कि 28 अप्रैल 2022 को दिए गए एक अंतरिम आदेश के अनुसार राज्य सरकार को प्रत्येक याचिकाकर्ता को 1 अप्रैल 2022 से 75,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के अनुपालन की ज़िम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से प्रधान सचिव रणजीत सिंह देओल पर डाली गई थी। इस संदर्भ में पूछे जाने पर सरकारी वकील ने कुछ अपवादों को छोड़कर पालन होने की जानकारी दी।
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याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे अधिवक्ता आनंद परचुरे ने बताया कि एक याचिकाकर्ता (कु. संगीता जानराव वाकेकर) को अक्टूबर 2024 से वेतन नहीं मिला है। इस पर अदालत ने चेतावनी दी कि यदि यह बात सच पाई गई तो वह संबंधित सचिव का वेतन तब तक रोकने का इरादा रखती है जब तक कि सभी आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं हो जाता।