एक्सप्लोसिव में विस्फोट (सौजन्य-नवभारत)
Explosive Department: एक्सप्लोसिव का सबसे बड़ा विभाग नागपुर में है। देश के आला अधिकारी इसी कार्यालय में बैठते हैं। इसके बाद भी सुरक्षा मानकों की ‘विस्फोट’ दर ‘विस्फोट’ से धज्जियां उड़ रही हैं। इससे कई सवाल उठने लगे हैं। पिछली बार भी चामुंडा एक्सप्लोसिव में विस्फोट हुआ था और कई लोगों की जान चली गई थी लेकिन विभाग कुछ नहीं कर पाया। रिपोर्ट तैयार करने का बहाना चलता रहा और फिर दूसरी जगह विस्फोट हो गया।
एक्सप्लोसिव विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह इसलिए भी उठता है कि कई बार विभाग के अधिकारी जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके हैं। रंगे हाथ पकड़े भी गए हैं, इसलिए आम लोगों में ‘संदेह’ होना लाजमी है। विभाग को निष्क्रिय और गैर प्रगतिशील माना जाने लगा है। जब नाक के नीचे लोगों की जिंदगी ‘दांव’ पर लगी है तो पूरे देश में हालात कैसे होंगे? इसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है।
जिले के बाजारगांव और आसपास के इलाकों में ही अनेक बारूद कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें बाजारगांव की सोलर एक्सप्लोसिव (चाकडोह), इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव (सावंगा), ओरिएंटल एक्सप्लोसिव (शिवा), एसबीएल एक्सप्लोसिव (राऊलगांव), अमीन एक्सप्लोसिव (ढगा) और चामुंडा एक्सप्लोसिव (धामना) जैसी कंपनियां शामिल हैं। बारूद उत्पादन और विस्फोटक सामग्री तैयार करने वाले इन उद्योगों में लगातार होने वाले विस्फोटों ने कामगारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लगातार कंपनियों में हो रहे हादसों ने अब तक कई कामगारों की जान ली है। पिछले कुछ महीनों में ही नागपुर जिले में संचालित इन कंपनियों में कई बड़े धमाके हो चुके हैं। इन हादसों ने न सिर्फ कामगारों की जिंदगियां छीनी हैं बल्कि स्थानीय लोगों के मन में भी डर का माहौल बना दिया है।
हर हादसे के बाद जांच समितियां बनाई जाती हैं और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया जाता है लेकिन घटनाओं का दोहराव इस बात का सबूत है कि फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। विस्फोटक पदार्थों के अत्यधिक संवेदनशील होने के बावजूद पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम न होना कामगारों की जान पर भारी पड़ रहा है।
इन इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे हर वक्त भय के साये में जी रहे हैं। उन्हें डर है कि किसी भी क्षण हादसा हो सकता है। बारूद कंपनियां हमारे घर-परिवार के लिए खतरा बन चुकी हैं। सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।
यह भी पढ़ें – Maharashtra Politics: कांग्रेस की आक्रामकता से भाजपा अलर्ट, जिले में दमदारी से लौटने की रणनीति तैयार
इन हादसों की पुनरावृत्ति से सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार कौन है? कंपनियों की लापरवाही, प्रशासन की ढिलाई या फिर सुरक्षा नियमों का खोखला पालन? जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक ये इलाका सचमुच बारूद के ढेर पर बैठा हुआ ही रहेगा। विस्फोटों से कंपनियों में काम करने वाले कामगारों को तो खतरा रहता ही है, इन धमाकों से समीप के गांवों पर भी खतरा मंडराता रहता है।