नागपुर महानगरपालिका (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: राज्य सरकार की ओर से हर समय भले ही विकास के लिए निधि की कमी नहीं होने का राग अलापा जा रहा हो किंतु वास्तविकता इसके विपरीत है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लाडली बहन योजना और कई अन्य मुफ्त योजनाओं का सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। यही कारण है कि धन की कमी के चलते 5,438 करोड़ के बजट वाली महानगर पालिका के लिए मंजूर निधि में से वर्तमान में केवल 6 करोड़ रु. मात्र का आवंटन किया गया है।
केवल 6 करोड़ रुपए का आवंटन किए जाने से पूरा मामला ही चर्चाओं में है। विभिन्न मुफ्त योजनाएं राज्य के खजाने पर भारी दबाव डाल रही हैं जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। 2022 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नागपुर शहर के लिए 411.86 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। मनपा को यह निधि अभी तक नहीं मिली।
बताया जाता है कि 95 करोड़ रुपये अगस्त में संभागीय कार्यालय को मिले थे। मनपा के हिस्से के 45 करोड़ रुपये में से 23 करोड़ रुपये सितंबर के पहले सप्ताह में दिए गए थे। उम्मीद थी कि मनपा को शेष 22 करोड़ रुपये एकमुश्त मिल जाएंगे लेकिन 6 करोड़ रुपये का भुगतान और 16 करोड़ रुपये का शेष फिर से रखने से मनपा को भी निराशा हुई। यह राज्य सरकार की वित्तीय सेहत को लेकर चिंताजनक स्थिति को भी उजागर कर रहा है। प्राप्त 95 करोड़ रुपये में से बाकी राशि महारेल और एनएमआरडीए के लिए थी।
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केंद्र सरकार ने आम आदमी की ज़रूरतों वाली वस्तुओं पर जीएसटी कम कर दिया है। राज्य सरकार को जीएसटी से मिलने वाला राजस्व भी कम हो जाएगा। इससे वित्तीय स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। फिलहाल मनपा को महीने के पहले हफ़्ते में राज्य सरकार से 148 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह सब्सिडी समय पर मिलेगी या नहीं, इस लेकर आशंका बनी हुई है। कुछ अधिकारियों ने यह भी आशंका जताई है कि अगर सब्सिडी समय पर नहीं मिली तो मनपा और मुश्किल में पड़ जाएगी।