रविभवन में बनें मंत्रियों-विधायकों के लिए फ्लैट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: नई दिल्ली के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर सांसदों के लिए 184 नये बहुमंजिला फ्लैट बनाए गए हैं। ये 7-बीएचके फ्लैट हैं। हर फ्लैट का कॉरपेट एरिया 5,000 वर्ग फीट का है। इन फ्लैटों का डिजाइन ऐसा है कि सांसद अपने घर से ही अपने आधिकारिक और सार्वजनिक कार्य आसानी से कर सकें। उपराजधानी नागपुर में हालांकि सरकार शीत सत्र के दौरान ही रहती है और मंत्रियों के रहने की व्यवस्था लगभग 40 वर्ष पुराने हो चुके रविभवन, नागभवन के कॉटेज में की जाती है।
विधायकों के लिए विधायक निवास में रहने की व्यवस्था होती है लेकिन कोई यहां रहता नहीं। चूंकि जैसी सुविधाएं चाहिए वे विधायकों, मंत्रियों को मिलती नहीं इसलिए अधिकतर स्टार होटलों में रहना पसंद करते हैं। मंत्री तो फिर भी कॉटेज में रह लेते हैं क्योंकि उनसे मिलने आने वालों का तांता लगा रहता है लेकिन विधायकों में तो गिने-चुने ही विधायक निवास में रहते हैं। अगर रविभवन के कॉटेज को तोड़कर यहां दिल्ली की तर्ज पर मंत्रियों, विधायकों व मंत्रालयीन अधिकारियों के लिए सर्वसुविधायुक्त बहुमंजिला फ्लैट स्कीम साकार की गयी तो सभी एक ही जगह पर होने से आपसी समन्वय में सुविधा होगी।
उपराजधानी में कैबिनेट मंत्रियों के लिए रविभवन, राज्य मंत्रियों के लिए नाग भवन, विधायकों के लिए विधायक निवास, अधिकारियों के लिए हैदराबाद हाउस, 160 खोली, अन्य विभागों के गेस्ट हाउस आदि में रहने की व्यवस्था होती है। इस बिखरी हुई व्यवस्था के चलते सभी के समय व पैसे की बर्बादी होती है। अपनी सरकार से मिलने वालों को भी इधर-उधर भटकना पड़ता है। दिल्ली में जो सांसदों के फ्लैट बने हैं उनमें आवास के साथ-साथ कार्यालय, कर्मचारियों के लिए आवास और एक सामुदायिक केंद्र भी शामिल है। इसका बुनियादी ढांचा आधुनिक मानकों के अनुसार तैयार किया गया है।
सभी इमारतें भूकंपरोधी हैं। यह परिसर दिव्यांगजनों के लिए भी अनुकूल है। बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानें, कम्युनिटी हॉल, गेस्ट रूम, जिम, कैंटीन, डिस्पेंसरी भी हैं। इस बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स में 612 गाड़ियों की पार्किंग की जगह है। पूरा बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स सीसीटीवी कैमरे से लैस है। पावर बैकअप, एटीएम, पब्लिक टॉयलेट भी है। इसी तर्ज पर नागपुर में भी रविभवन परिसर में सारी सुविधाओं के साथ मल्टी स्टोरी फ्लैट स्कीम साकार किया जा सकता है।
संयुक्त रूप से एक ही परिसर में मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों के आवास-कार्यालय साकार होने से दूसरी बेशकीमती जमीनों का उपयोग सरकार दूसरे महत्वपूर्ण प्रकल्पों के लिए कर सकती है। रविभवन परिसर का उपयोग किया गया तो फिर विधायक निवास, नागभवन, हैदराबाद हाउस आदि की जमीनों का अन्य उपयोग किया जा सकेगा। वैसे भी वर्ष में 10-15 दिन ही शीत सत्र में इनका उपयोग होता है।
वर्षभर कोई मंत्री आता है तो वह स्टार होटल में ही रुकता है। कॉटेज खाली पड़े रहते हैं। मेंटेनेंस में हर वर्ष करोड़ों खर्च होते हैं। स्टार सुविधाएं होंगी तो सभी फ्लैट्स में रुकेंगे। सरकार इसे अनिवार्य भी कर सकती है। स्वीमिंग पूल, जिम, वॉकिंग ट्रेक, उद्यान, इंडोर गेम्स की सुविधा, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, लॉन टेनिस आदि की सुविधा भी विकसित की जा सकती है जैसा कि स्टार होटलों में होता है।
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हालांकि दिल्ली के सांसद फ्लैट के पहले ही नागपुर के नागभवन में उसी तर्ज पर 229 करोड़ रुपयों से मल्टीस्टोरी नया गेस्ट हाउस बनाने का प्रावधान का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी विभाग ने दिया हुआ है जिसमें मंत्रियों के लिए रहने की व्यवस्था प्रस्तावित है। उस प्लान में सुधार किया जा सकता है।
मुंबई में मनोरा की तर्ज पर यहां भी विधायकों के लिए फ्लैट्स निर्माण प्रस्तावित होने की जानकारी तो जब पिछली महायुति सरकार में चंद्रशेखर बावनकुले पालक मंत्री थे तब दी थी। विधानभवन के विस्तार की योजना को तो गति मिल गई है। दिसंबर में उसका भूमिपूजन भी होने की जानकारी विस अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने दी थी। इसके साथ ही मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों के लिए फ्लैट स्कीम का प्रोजेक्ट भी साकार किया जाना चाहिए।