धर्मेंद्र की नागपुर दौरे की तस्वीरें (सोर्स: सोशल मीडिया)
He-Man Dharmendra Story: हिन्दी सिनेमा के ‘हीमैन’ और दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के दमदार अभिनय की दीवानी पूरी दुनिया है लेकिन ऑरेंज सिटी नागपुर का उनसे एक खास रिश्ता रहा है। उनका प्रभाव इतना था कि लोग उनके नाम तक अपने बच्चों के रख लेते थे। इसके लिए पति-पत्नी में झगड़ा तक हो जाता था।
एक ही ऐसी ही कहानी नागपुर से भी जुड़ी हुई है जब ‘हीमैन’ धर्मेंद्र से नागपुर वाले धर्मेंद्र की मुलाकात हुई तो धर्मेंद्र ने उसे गले लगा लिया और कहानी सुनने के बाद तो जमकर प्यार भी बरसाया।
धर्मेंद्र जब 1996 में अखिल भारतीय कबड्डी प्रतियोगिता के लिए नागपुर आए थे तब उनकी प्रेस-कॉन्फ्रेंस रखी गयी थी। इसमें धर्मेंद्र जोरे की मुलाकात धर्मेंद्र से हुई थी। जोरे के साथियों ने उन्हें बताया कि हमारे पास भी एक धर्मेंद्र है तो धर्मेंद्र ने उन्हें गले लगा लिया। जोरे ने उन्हें बताया कि उनकी मां ने आपके नाम पर ही मेरा नामकरण धर्मेंद्र किया है तो वे खुश हो गए और झप्पी लगा बैठे।
जोरे ने उन्हें बताया कि पिता को यह नाम पसंद नहीं था, इसलिए मां को इसके लिए झगड़ा तक करना पड़ा। जोरे ने बताया कि धर्मेंद्र ने इतनी आत्मीयता से उन्हें गले लगाया कि आज भी वाकिया याद आ जाता है।
हालांकि मुंबई में 3-4 बार मुलाकात हुई लेकिन नागपुर में जो 2 धर्मेंद्रों का मिलन हुआ वह आज भी दिलों में ताजा है। वे केवल फिल्मों के सुपर स्टार नहीं थे बल्कि वास्तविक जीवन में भी एक अलग ही व्यक्तित्व रखते थे। जोरे आज नेशनल कैंसर हॉस्पिटल में जनसंपर्क प्रमुख के पद पर कार्यरत हैं। यह वाक्या बताते हुए आज भी उनकी आवाज रुंध गई।
सिने समीक्षक सागर कोतवालीवाले ने बातचीत करते हुए बताया कि 70 के दशक में नागपुर के सिनेमाघरों में ‘शोले’ लगातार 80 हफ्तों से भी अधिक समय तक चलती रही थी। नागपुर की जनता ने इस फिल्म और धर्मेंद्र पर अपना भरपूर प्यार लुटाया था।
सागर कोतवालीवाले ने बताया कि फिल्म ‘आंखें’ को धर्मेंद्र के करिअर का ‘माइलस्टोन’ माना जाता है। किस्सा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उस दौर के सुपर स्टार राजकुमार ने निर्माता रामानंद सागर को अपमानित कर यह फिल्म ठुकरा दी थी लेकिन धर्मेंद्र ने रामानंद सागर के शब्दों पर भरोसा किया और थोड़ी आशंका के बावजूद फिल्म स्वीकार कर ली।
इस फिल्म के सदाबहार गानों और माला सिन्हा के साथ धर्मेंद्र की शानदार केमिस्ट्री ने उन्हें नंबर वन हीरो की कतार में खड़ा कर दिया। उस दौर में नागपुर के होटलों, रिक्शों, पान की टपरियों और सार्वजनिक जगहों पर बस ‘आंखें’ फिल्म के गाने ही गूंजते थे।
‘शोले’ जब प्रदर्शित हुई तो शुरू में इसे कई आलोचकों की तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी। पहले कुछ हफ्तों में इसे ‘फ्लॉप’ तक करार दे दिया गया था लेकिन जो दर्शक इसे देखकर आए, वे इसके जादू में खो गए।
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‘माउथ पब्लिसिटी’ ने दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर खींचा और देखते ही देखते संतरानगरी में यह फिल्म अनंतकाल तक चलने का इतिहास रच गई। कोतवालीवाले बताते हैं कि धर्मेंद्र की सहज और गुणी अभिनय शैली पर नागपुरकरों ने ‘अलोट प्रेम’ बरसाया।
धर्मेंद्र का नागपुर और विदर्भ से गहरा नाता रहा है। मराठा लांसर की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कबड्डी प्रतियोगिता के उद्घाटन के लिए राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने 6 जनवरी 2000 को सिनेस्टार धर्मेंद्र को काटोल आमंत्रित किया था।
उस निमंत्रण का मान रखते हुए धर्मेंद्र वहां उपस्थित रहे जिसकी यादें आज भी काटोलवासियों के दिलों में ताजा हैं। इसके बाद वे पूर्व जिला परिषद सदस्य सलील देशमुख के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए भी खास तौर पर नागपुर आए थे।