नागपुर न्यूज
Nagpur News: नागपुर महानगर पालिका ने शहर के विकास प्रारूप (DP) में एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है जिससे एक नए विवाद की आशंका है। इस प्रस्ताव के तहत परसोडी इलाके में एक प्राथमिक स्कूल, एक पुस्तकालय और एक सार्वजनिक पार्किंग के लिए लंबे समय से आरक्षित भूमि को रद्द कर दिया जाएगा। इस जमीन को अब आवासीय और अर्ध-सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्धारित करने की तैयारी है।
मनपा प्रशासक अभिजीत चौधरी ने 8 सितंबर, 2025 को महाराष्ट्र प्रादेशिक आणि नगररचना (MRTP) अधिनियम, 1966 की धारा 37 के तहत इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। अब इसे आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। उसके बाद नागरिकों से 30 दिनों के भीतर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।
अधिसूचना के अनुसार मौजा परसोडी-भामटी में नेल्को गृह निर्माण सहकारी संस्था की 1.246 हेक्टेयर भूमि जो पहले प्राथमिक स्कूल और पुस्तकालय के लिए आरक्षित थी अब ‘सार्वजनिक/अर्ध-सार्वजनिक’ ज़ोन में बदल दी जाएगी। इससे निजी संस्थाओं सहित अन्य उपयोगों के लिए भी जमीन उपलब्ध हो सकेगी।
इसी तरह पार्किंग के लिए आरक्षित 0.4035 हेक्टेयर भूखंड में से केवल 0.0672 हेक्टेयर ही पार्किंग के लिए रखा जाएगा। शेष 0.3363 हेक्टेयर भूमि को विकास योजना से हटाकर आवासीय ज़ोन में शामिल कर दिया जाएगा। यह कदम पहले से ही भीड़भाड़ वाले इलाके में सार्वजनिक पार्किंग की जगह को और कम कर देगा।
नगर नियोजन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रस्ताव पहले भी पिछली आम सभा में पेश किया गया था और राज्य सरकार को भेजा गया था लेकिन एक साल से अधिक समय तक मंजूरी न मिलने के कारण मनपा ने अब प्रक्रिया फिर से शुरू की है। शहर के योजनाकार और कार्यकर्ता इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।
उनका तर्क है कि जब शहर पहले से ही सार्वजनिक मूलभूत सुविधाओं पर बढ़ते दबाव का सामना कर रहा है तो स्कूल, पुस्तकालय और पार्किंग जैसी आवश्यक नागरिक सुविधाओं को रद्द करना समझ से परे है। परसोडी और भामटी जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में इन सुविधाओं की मांग लगातार बढ़ रही है।
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आलोचकों का मानना है कि इस कदम से मौजूदा संसाधनों पर और अधिक दबाव पड़ेगा। यह पहली बार नहीं है जब नागपुर की विकास योजना में सार्वजनिक सुविधाओं के आरक्षण को कम किया गया है। कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से आरोप लगाया है कि सामुदायिक उपयोग के लिए आरक्षित भूमि को अक्सर रियल एस्टेट या संस्थागत खिलाड़ियों के पक्ष में अनारक्षित किया जाता है जिससे शहर नियोजन की मूल भावना कमजोर होती है।
इस प्रस्ताव के लिए सार्वजनिक राय अनिवार्य है। नागरिक अपनी लिखित आपत्तियां या सुझाव सिविल लाइन्स स्थित नगर नियोजन विभाग, मनपा मुख्यालय में दे सकते हैं। इसके बाद मनपा आयुक्त जनता की राय के साथ इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजेंगे।