ट्रैवल्स की बसों पर नकेल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Travels Buses no entry in Nagpur: हम ऐसे शहरों का सपना देखते हैं जहां अच्छा प्रशासन हो, साफ-सुथरा हो, भीड़भाड़ न हो, आवागमन आसान हो, हर जगह जाने की सुविधा हो ताकि किसी तरह की असुविधा न हो। यह भी सच है कि जैसे-जैसे शहर बड़े होते जाते हैं उनकी समस्याएं भी बड़ी होती जाती हैं और उनसे निपटने की चुनौती भी व्यापक होती जाती है। नागपुर सिटी लंबे समय से अनुशासनहीन ट्रैफिक की समस्या झेल रही है।
निजी ट्रैवल्स बस वालों ने सिटी के बाहर जाने वाली सड़कों के अमूमन सारे चौराहों को यात्री पिकअप करने का अड्डा बना रखा है। एसटी स्टैंड, गीतांजलि चौक, छत्रपति चौक, बोले पेट्रोल पंप चौक, मानस चौक, जीरो माइल्स, इंदौरा चौक इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। ऐसा नहीं है कि इस समस्या का निराकरण नहीं है। रायपुर, इंदौर, ग्वालियर सहित दर्जनों शहर हैं जहां निजी बसों का संचालन सिटी से बाहर एक निश्चित स्थान से होता है।
शहर पुलिस आयुक्त रवीन्द्र सिंगल ने भी सिटी में अफरातफरी फैलाने वाली ट्रैवल्स बसों को शहर के भीतर मनमानी तरीके से संचालन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। उन्होंने 20 अगस्त तक का समय ट्रैवल्स संचालकों को दिया है। ट्रैवल्स का संचालन सिटी के बाहर से हुआ तो सचमुच सिटी राहत की सांस लेगी। चौराहों पर दादागिरी से बसें खड़ी कर सुचारु ट्रैफिक का रोड़ा बनने वालों पर नकेल कसी जाएगी।
सिटी से करीब 50-60 छोटे-बड़े ट्रैवल्स वाले हैं और करीब 400 से 600 बसें रोजाना विविध रूटों पर चलती हैं। इनमें से केवल 7 ट्रैवल्स के पास खुद की पार्किंग व्यवस्था है। बाकी सारे के सारे सड़कों व गलियों में बसों की पार्किंग करते हैं। सड़कों पर ही सवारियां बिठाते हैं। अपने रूट पर आने वाले सारे चौराहों को यात्री बिठाने का अड्डा बना रखा है।
हालात यह है कि जिनके पास पार्किंग सुविधा है वे वहां तो सवारी बिठाते ही हैं, साथ ही यात्री पिकअप करने के लिए चौराहों व अपने एजेंट के कार्यालयों के सामने की सड़क का उपयोग करते हैं। इन ट्रैवल्स वालों को अपने पार्किंग स्थल पर ही सारे यात्री बिठाने चाहिए। अब पुलिस आयुक्त के आदेश का पालन विभाग किस तरह से करवाता है यह उसकी इच्छाशक्ति पर निर्भर है।
मेट्रोपॉलिटन सिटी के रूप में तेजी से बढ़ती सिटी के लिए अब शहर से बाहर जाने वाली दिशाओं में अलग-अलग ट्रैवल्स बसों का स्थल सुनिश्चित किया जा सकता है। सिटी अब आउटर रिंग रोड तक विस्तारित हो चुकी है। इनर रिंग रोड व आउटर रिंग रोड के बीच घनी बस्तियां बस चुकी हैं। आउटर रोड के बाहर भी अब तेजी से बसाहट हो रही है।
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वर्धा रोड में खापरी, अमरावती रोड में वाड़ी, भंडारा रोड पर देवी मंदिर के आगे, जबलपुर रोड पर ट्रांसपोर्ट प्लाजा के समीप ट्रैवल्स बसों के संचालन की सुविधा होनी चाहिए। पड़ोसी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तो बसों का सिटी में घुसना ही प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहां रिंग रोड पर बड़ा बस स्टैंड बनाया गया है और सभी दिशाओं से आने वाली बसें रिंग रोड से वहां पहुंचती हैं। वहीं यात्रियों को बिठाने व उतारने का काम होता है।
ग्वालियर में तो सिटी के भीतर ट्रैवल्स वालों के टिकट बुकिंग कार्यालय हैं लेकिन बसें निर्धारित स्थल से ही संचालित होती हैं। यात्री खुद ही बस स्टैंड जाते हैं या फिर ट्रैवल्स वाले उन्हें बसों तक छोड़ने के लिए वैन, ऑटो आदि की व्यवस्था करते हैं। अपनी सिटी में तो निजी ट्रैवल्स टर्मिनस तक यात्रियों को लाने-ले जान का काम मनपा की सिटी बस से करने की बात कही गई है। यह तो ट्रैवल्स वालों के लिए भी राहत भरा होगा।