(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नागपुर: नागपुर से चोरी की गई एसयूवी को मणिपुर में बेचे जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने अंतरराज्यीय गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। आशंका है कि चोरी किया गया चौपहिया वाहन का प्रयोग हथियार तस्करी के लिए किया जा रहा था। पुलिस ने इस दिशा में भी जांच शुरू कर दी है।
पकड़े गए आरोपियों में अंसारनगर, मोमिनपुरा निवासी शाहिद इकबाल उर्फ चिंटू अब्दुल लतीफ (39), गाड़ीखाना निवासी सौरभ अशोकराव अहिरवार (36), कार चालक अजीत सिंह इंगो लायश्रम (38) और बोजेंद्रसिंह शूरचंद्रसिंह लायराम (27) दोनों पोयुरुकोन्जिल, मायाई, लिकायी कमेटी हॉल, मणिपुर निवासियों का समावेश बताया गया।
मंगलवार को पुलिस भवन में मीडिया से बात करते हुए पुलिस आयुक्त रवींद्र सिंघल ने बताया कि जांच में आरोपियों द्वारा नागपुर समेत दिल्ली में 6 वारदातों को अंजाम देने का खुलासा हुआ है। आरोपियों से 11 एसयूवी समेत करीब डेढ़ करोड़ का माल जब्त कर लिया गया है।
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उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से नागपुर शहर में कुछ कंपनियों की कारें चोरी होने की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। ऐसे कुल 8 मामले दर्ज किए गए। जांच में यह भी पता चला है कि कार चोरी करते समय सॉफ्टवेयर में बदलाव कर उसकी चाबी बनाई जा रही थी।
पुलिस को शक है कि इस चोरी के पीछे किसी गिरोह का हाथ है। वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में क्राइम ब्रांच ने तलाश शुरू की। पुलिस ने सबसे पहले वाहन चालक अजीत सिंह और बोजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया। इसके बाद अन्य 2 को गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रेस वार्ता में सीपी ने बताया कि इस गिरोह का सरगना दिल्ली का शाहिद है। वह चोरों का एक गिरोह चलाता है और देशभर से चोरी की गई एसयूवी को मणिपुर और नागालैंड में बेचता है। एसयूवी को मणिपुर तक पहुंचाने के लिए स्थानीय ड्राइवरों की मदद ली जाती है। इन्हें हवाई मार्ग से नागपुर सहित देशभर के विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है। उक्त स्थानों पर चालकों के रहने की व्यवस्था पांच स्टार होटल में की जाती है।
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एसयूवी चोरी करने के बाद जिस राज्य से गुजरना होता है वहां की नंबर प्लेट और आरसी बुक पहले से तैयार कर ली जाती है। इस तरह संबंधित राज्य से चोरी हुई कार आसानी से मणिपुर पहुंच जाती है। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि फास्टटैग में जिस नंबर का अमाउंट (बैलेंस) कम है, उसे सेलेक्ट कर दूसरे व्यक्ति के नाम पर भी उसी नंबर का फास्टैग बना लिया जाता है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि चोरी की गई एसयूवी का इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जाता है या नहीं।