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Nagpur News: बंद पड़ी ब्रेकी थेरेपी, सीटी सिम्युलेटर मशीन नहीं; आधुनिक मशीनों से मेडिकल का कैंसर विभाग वंचित

  • By navabharat
Updated On: Jan 10, 2024 | 11:59 PM
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  • 2 वर्ष से अधिक से ब्रेकी थेरेपी बंद 
  • 18 वर्ष की हो गई कोबाल्ट मशीन 
  • 11 वरिष्ठ डॉक्टर प्रशिक्षण से वंचित 
  • 100 मरीजों की ओपीडी हर दिन 

नागपुर. राज्य सरकार का विदर्भ के मेडिकल कॉलेजों को लेकर हमेशा भेदभावपूर्ण रवैया  ही रहा है. मैन पॉवर की उपलब्धता हो या फिर आधुनिक सुविधाएं, समय पर नहीं मिल पातीं. वर्तमान में कैंसर के इलाज के लिए आधुनिक मशीनें उपलब्ध हो गई हैं लेकिन शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल का  कैंसर विभाग अब भी मशीनों के लिए तरस रहा है. इससे एक ओर जहां मरीजों के उपचार में दिक्कतें आ रही हैं वहीं स्नातकोत्तर करने के बाद एक वर्ष का बांड पूरा करने वाले वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सेवा देनी पड़ रही है. 

मेडिकल के टीबी वार्ड परिसर में इंस्टीट्यूट का निर्माण किया जा रहा है लेकिन इंस्टीट्यूट को पूरी तरह तैयार होने में कम से कम 5 वर्ष का समय लग सकता है. तब तक कैंसर विभाग को पुरानी व्यवस्था के तहत ही काम करने जैसी नौबत बनी हुई है. विभाग में हर दिन करीब 100 मरीजों की ओपीडी होती है. वहीं 20-25 मरीज आईपीडी में भर्ती रहते हैं. विभाग में ब्रेकी थेरेपी मशीन पिछले दो-ढाई वर्ष से बंद है. 2009 में मशीन लगाई गई थी लेकिन बाद में खराब होने के बाद बंद पड़ गई.

इस मशीन की मदद से अन्ननलिका, स्तन, सार्कोमा, बच्चेदानी जैसे कैंसर का निदान किया जाता है. लीनियर एक्सीलेटर मशीन एडवांस तकनीक है. मशीन की खरीदी के लिए 23 करोड़ मिलने के बावजूद अब तक नहीं लगाई जा सकी. सीटी सिम्युलेटर मशीन भी नहीं है. कोबाल्ट मशीन 2006 में लगाई गई थी. मशीन के कार्य करने की समयावधि करीब 10-12 वर्ष होती है लेकिन अब यह 18 वर्ष की हो गई है. यही वजह है कि कई बार बंद पड़ती रहती है. 

मेडिकल में प्रवेश, औरंगाबाद में इलाज 

विभाग में पहले स्नातकोत्तर की 2 सीटें हुआ करती थीं लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर 5 हो गई. वर्तमान में विभाग में 11 निवासी डॉक्टर हैं. स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों को एक वर्ष बांड की सेवा देनी पड़ती है लेकिन आधुनिक मशीनों का अभाव होने से वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों को सीखने का अवसर नहीं मिल पाता. इस वजह से औरंगाबाद के मेडिकल कॉलेज में जाकर एक वर्ष का बांड पूरा करना पड़ता है. यानी मेडिकल के वरिष्ठ निवासी डॉक्टर औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज की जरूरत पूरी कर रहे हैं.

इसकी मुख्य वजह औरंगाबाद के मेडिकल कॉलेज में 2 ब्रेकी थेरेपी, 2 लिनियर एक्सिललेटर और 2 सिटी सिम्युलेटर मशीनें हैं. नागपुर सहित विदर्भ कैंसर का हब होने के बावजूद सरकार ने मराठवाड़ा पर मेहरबानी दिखाई और मेडिकल कॉलेज को सुविधाओं से वंचित रखा है. औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज में स्नातक की केवल 2 सीटें हैं. इस तरह के भेदभावपूर्ण रवैये से न केवल मरीजों को बल्कि निवासी डॉक्टरों को भी प्रशिक्षण से वंचित रहना पड़ रहा है. 

Breaky therapy closed no ct simulator machine medical cancer department

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Published On: Jan 10, 2024 | 11:56 PM

Topics:  

  • Medical College Nagpur
  • Nagpur News

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