नागपुर करार की जलाई होली (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: दशकों से स्वतंत्र विदर्भ राज्य निर्माण की मांग शुरू है। देश में कुछ छोटे नये राज्यों की स्थापना तो हुई लेकिन विदर्भ अब तक नया राज्य नहीं बन पाया। विदर्भ राज्य आंदोलन समिति लगातार स्वतंत्र राज्य निर्माण की मांग करते हुए आंदोलन कर रही है। विदर्भ को संयुक्त महाराष्ट्र में जोड़ते समय 28 सितंबर, 1953 को पश्चिम महाराष्ट्रवादी नेताओं ने नागपुर करार किया था।
इसमें विदर्भ के साथ अन्याय नहीं होने का करार है लेकिन तब से लेकर अब तक केवल अन्याय कर विदर्भ को गुलामी की ओर ढकेल दिया गया। इसके विरोध में विराआंस ने वेराइटी चौक पर नागपुर करार की होली जलाई। इसके साथ ही महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण को विदर्भ का खलनायक बताते हुए उनके पोस्टर भी जलाए गए।
पूर्व विदर्भ अध्यक्ष अरुण केदार व युवा आघाड़ी अध्यक्ष मुकेस मासुरकर के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में विदर्भवादियों ने जमकर नारेबाजी की। ‘वेगळा विदर्भ झालाच पाहिजे, जळाला रे जळाला, नागपूर करार जळाला, लेके रहेंगे, लेके रहेंगे, विदर्भ राज लेके रहेंगे, विदर्भ गद्दार मुर्दाबाद-मुर्दाबाद, जय विदर्भ…’ के नारे लगे।
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आंदोलन में रमेश गजबे, नरेश निमजे, राहुल बनसोड, ज्योति खांडेकर, गिरीश तितरमारे, राजेंद्र सतई, हरिभाऊ पानबुडे, अमूल साकुरे, रमेश वरुडकर, माधुरी चव्हाण, संगीता अंबारे, प्यारुभाई उर्फ नौशाद हुसैन, मोरेश्वर वनकर, गणेश शर्मा, मधुकर जुमडे, अनिल केशरवानी, उमेश निनावे, नीलकंठराव अंभोरे, दिलीप कोहले, सुनील खंडेलवाल, मधुकर जुमडे, चंद्रशेखर पुरी, तारेश दुरूगकर, सुनील रोहाणे, संजय सूर्यवंशी, अतुल रणदिवे, चेतन डाखोडे, दिगंबर देशमुख सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।