सुप्रिया सुले और देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-IANS)
NCP-SP Supriya Sule: बीजेपी में जिसने संघर्ष किया, लाठियां खायीं, उन निष्ठावान नेताओं का मैं आदर करती हूं। अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज आदर्श हैं। इनके भाषण से सीखा कि कैसे बोलना है। तब की भाजपा और आज की भाजपा में कोई मेल नहीं है। यह कहना है राकां शरद पवार पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले का। वे नागपुर में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रही थीं।
उन्होंने टिप्पणी की कि बीजेपी में अब कोई ओरिजिनल नहीं रह गया है। संसद में नजर डालो तो सब कांग्रेसीकरण हुआ नजर आता है। वाजपेयी के समय पार्टी सुसंस्कृत थी लेकिन अब नहीं है। उन्होंने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पुणे का घायवल फर्जी पासपोर्ट से भाग निकला जो गंभीर मामला है।
इतनी सुरक्षा व्यवस्था होते हुए भी पासपोर्ट मिलता है, इमीग्रेशन होता है फिर भी सेंध लगी। मुख्यमंत्री द्वारा जांच के आदेश देने पर आभार जताते हुए उन्होंने टोला भी मारा कि सरकार का डेटा ही बताता है कि राज्य में अपराध बढ़ा है।
सुले ने राज्य व देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में कहा कि वर्ल्ड बैंक का डेटा बताता है कि भारत सबसे अधिक कर्ज लेने वाला देश है। वाजपेयी सरकार ने एफआरपीएफ कानून बनाया था। पैसे आते हैं, खर्च होता है, उसमें आर्थिक इमर्जेंसी के लिए फिस्कल मैनेजमेंट की व्यवस्था थी। अब तो खर्च ही नहीं संभल रहा।
सरकार की हालत खराब होती तो सोना-चांजी बेचना पड़ता है लेकिन अब सरकारी जमीन बेचने का कारनामा शुरू है। शिव भोजन थाली संचालकों को 8 महीने से अनुदान नहीं मिला। इस संदर्भ में सीएम से चर्चा की बात उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के लिए राजनीतिक मतभेद भुलाकर सभी देश के लिए एक साथ आए। अब राज्य के लिए एक साथ आने की जरूरत है।
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स्थानीय निकाय चुनाव मविआ के साथ लड़ने के सवाल पर सुले ने कहा कि कांग्रेस व राकां ने 18 वर्ष शासन किया। स्थानीय निकाय चुनाव हमेशा अलग-अलग लड़ा। कभी गठबंधन नहीं किया। बीता चुनाव शिवसेना व भाजपा ने भी स्वतंत्र लड़ा था। यह चुनाव कार्यकर्ताओं का है।
हम क्या करेंगे या महायुति क्या करेगी, यह कुछ दिनों में सामने आ जाएगा। किसानों की मदद पर उन्होंने कहा कि यह राजनीति करने का नहीं मानवता दिखाने का समय है। किसानों से कर्ज वसूली अभी नहीं की जानी चाहिए। किसानों के खिलाफ बोलने वाले राकां अजीत पवार गुट के मंत्री के संदर्भ में उन्होंने कहा, यह सवाल अजीत पवार से पूछें।