शुद्ध पानी के नाम पर बड़ा कारोबार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: ऑरेंज सिटी में आरओ वॉटर के नाम पर करोड़ों का कारोबार हो रहा है। शादी-ब्याह सहित विविध तरह के छोटे-बड़े समारोह के साथ दुकानों, ऑफिस और घरों में सप्लाई होने वाले कैन में भरे पानी को लोग सेहतमंद समझकर पी रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि आरओ वाटर के नाम पर सिर्फ नल का पानी ही बेचा जा रहा है।
इसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। कैन में पानी बेचने वालों में से 70 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास आरओ प्लांट है ही नहीं। इनके पानी की कोई जांच का पैमाना भी नहीं है और पानी की कभी जांच भी नहीं की जाती।
जानकारी के अनुसार, जो आरओ प्लांट रजिस्टर्ड हैं, वे ही वाटर बेचने का अधिकार रखते हैं, लेकिन इन दिनों यहां दर्जनों ऐसे प्लांट बन चुके हैं जो पानी बेचकर लाखों कमा रहे हैं। देखा जाए तो आज शहर में इनकी इतनी डिमांड बढ़ गई है कि यह कारोबार करोड़ों के पार हो गया है। वाटर कैन का उपयोग करने वालों की संख्या लाख से अधिक है। यही नहीं, सप्लाई किए जा रहे पानी में टीडीएस की मात्रा कितनी है, यह भी चेक नहीं किया जाता है।
पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक होने से यह हेल्थ के लिए काफी खतरनाक हो जाता है। इस तरह से आरओ के नाम पर साधे नल से पाइप के द्वारा कैन में पानी भरने वाले लोगों की सेहत बिगाड़ने के साथ उनकी जेब भी कट रही है। जिसकी फिक्र न तो स्वास्थ्य विभाग को है और न ही फूड एंड सेफ्टी विभाग को। इसके चलते बेखौफ शहर में मिनरल वाटर के नाम पर दर्जनों अवैध प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं।
जानकारों की मानें तो पानी के धंधे की आड़ में कारोबारी वाटर कैन की बिक्री के रेट भी खुद से ही तय कर लेते हैं। कंपनियों में रेट अलग और घरों में अलग रेट पर पानी सप्लाई किया जा रहा है। एक वाटर कैन में 20 लीटर तक पानी आता है और यह 30 से 40 रुपए तक मार्केट में बेचा जा रहा है।
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वहीं, कुछ लोग छोटे-छोटे दुकानदारों तक 30 रुपये में 15 लीटर के वाटर कूलर में पानी की सप्लाई कर रहे हैं। इसमें शायद ही किसी वाटर कैन के पानी का स्वाद आरओ वाटर जैसा हो। पानी जब तक ठंडा रहता है, तब तक यह मीठा लगता है, लेकिन जब इसका ठंडापन गायब होता है तो पानी का स्वाद भी बदल जाता है।
बिना सील बंद पानी की बिक्री पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी ऑरेंज सिटी में पानी के धंधेबाज प्रतिदिन कैन और वाटर कूलर के माध्यम से हजारों लीटर पानी की सप्लाई कर रहे हैं। कैन पर न तो उसे तैयार करने की तिथि होती है, न ही उसके उपयोग की, बैच नंबर और लाइसेंस नंबर भी अंकित नहीं होता है।
इस तरह के कैन को खरीदकर प्यास बुझाने वाले लोगों का विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है। अवैध तरीके से जो भी प्लांट संचालित हो रहे हैं, उनमें से किसी के पास भी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड का लाइसेंस नहीं है। जबकि मिनरल वाटर का प्लांट लगाने के लिए यह लाइसेंस होना सबसे जरूरी होता है।