अपने साथ दूसरों का भी रखें ध्यान। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: बढ़ते तापमान के साथ हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। शहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में हीट स्ट्रोक से बचाव के उपायों पर अमल करना बहुत जरूरी है। आशा स्वयंसेविका स्वास्थ्य विभाग में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। नागपुर महानगरपालिका की हीट स्ट्रोक रोकथाम प्रणाली की नोडल अधिकारी डॉ. गोवर्धन नवखरे ने आशा स्वयंसेविका से अपील की है कि वे न केवल खुद को हीट स्ट्रोक से बचाएं बल्कि दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
नगर आयुक्त एवं प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी के निर्देशानुसार शहर में हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय लागू किए जा रहे हैं। अतिरिक्त आयुक्त आंचल गोयल एवं चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपक सेलोकर के मार्गदर्शन में नगर निगम क्षेत्र की सभी आशा कार्यकर्ताओं को हीट स्ट्रोक से बचाव के उपायों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत सोमवार को इंदौरा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं को हीट स्ट्रोक से बचाव के उपायों के क्रियान्वयन का प्रशिक्षण दिया गया। मंगलवार को जोन के जोनल चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अतीक उर रहमान, जीएनएम सिल्विया सोन्टाके और अन्य उपस्थित थे।
इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं को हीट स्ट्रोक क्या है, इसके लिए प्राथमिक उपचार क्या है, हीट स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति की जान बचाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए, तथा हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए आदि के बारे में नोडल अधिकारी डॉ. गोवर्धन नवखरे द्वारा जानकारी दी गई। उच्च तापमान का हमारे शरीर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। सीधे सूर्य की रोशनी में काम करने के अपने नकारात्मक प्रभाव होते हैं, और यहां तक कि घर के अंदर रहने से भी तापमान में वृद्धि के कारण हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में सावधानी की आवश्यकता है।
पसीना आना, पैरों में ऐंठन, सुस्ती महसूस होना और चक्कर आना गर्मी के सामान्य प्रभाव हैं। लेकिन हीट स्ट्रोक सबसे खतरनाक है। तापघात से पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो जाता है और स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पाता। शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है और पसीना नहीं आता। जब शरीर पूरी तरह से सूख जाता है, तो शरीर का तापमान नाटकीय रूप से बढ़ जाता है। नोडल अधिकारियों ने ऐसी स्थिति में इन बातों का ध्यान रखने की अपील की है कि ऐसे व्यक्ति को छाया में ले जाकर ठंडक पहुंचाएं, उसके सिर पर कपड़ा या तौलिया रखकर पानी डालें तथा उसके शरीर का तापमान ठंडा करने का प्रयास करें और एंबुलेंस सेवा नंबर 108 पर कॉल कर सूचना दें।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
मंगलवार को जोन के जोनल चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अतीक उर रहमान ने आशा कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपने कार्य क्षेत्र में पाए जाने वाले बेघर लोगों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं। बेघर लोगों की सुविधा के लिए नगर निगम द्वारा बेघर आश्रय केन्द्र शुरू किए गए हैं। डॉ. रहमान ने यह भी बताया कि नगर निगम इन केंद्रों में बेघर लोगों के आवास, भोजन, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण के सभी पहलुओं का ध्यान रख रहा है। डॉ. रहमान ने आशा कार्यकर्ताओं से अपने कार्य क्षेत्रों में जन जागरूकता कार्य करते हुए नागरिकों को ओआरएस पॉकेट और जागरूकता पत्रक उपलब्ध कराने की भी अपील की।
नागरिकों को बिना काम के धूप में बाहर जाने से बचना चाहिए। जब धूप में बाहर जाने का समय हो तो उचित सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्मी के मौसम में बाहर जाने से बचें, खूब पानी पिएं, अपने और दूसरों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, हल्के, पतले और हवादार कपड़े पहनें, बाहर जाते समय चश्मा, छाता या टोपी, जूते या चप्पल पहनें, यात्रा करते समय अपने साथ पानी की बोतल रखें और धूप में काम करते समय टोपी या छाता का उपयोग करें। अपने सिर, गर्दन और चेहरे को गीले कपड़े से ढकें। अगर आपका शरीर निर्जलित है, तो नियमित रूप से ओआरएस, नींबू पानी, छाछ आदि पिएं। अपने घर को ठंडा रखने के लिए नम पर्दे, पंखे, कूलर आदि का उपयोग करें।
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए गर्मियों में बाहर जाने से बचें, धूप में अधिक मेहनत वाले काम करने से बचें, बच्चों या पालतू जानवरों को बंद या खड़ी गाड़ियों में न छोड़ें, गहरे, तंग और मोटे कपड़े पहनने से बचें, धूप में खाना पकाने से बचें, खाना बनाते समय रसोई के दरवाजे और खिड़कियां खुली रखें, शराब, चाय, कॉफी और शीतल पेय पीने से बचें और बासी और उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचें।