नागपुर. नागपुर विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक से पूर्व सदस्यों को प्रश्न और प्रस्ताव रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने से नाराजगी का माहौल है. वहीं दूसरी ओर उपकुलपति ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कई सदस्यों के प्रश्नों को कार्यवाही में शामिल ही नहीं किया. 1 नवंबर को होने वाली सीनेट की बैठक में सदस्यों ने प्रशासन को घेरने की तैयारी की है.
सीनेट बैठक में वार्षिक रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी. इसके साथ ही पहले सत्र में प्रश्नोत्तर होंगे लेकिन इस बार सदस्यों को पर्याप्त समय ही नहीं दिया गया. पुराने नियमानुसार सीनेट बैठक के लिए 40 दिन पहले नोटिस जारी किया जाता था लेकिन एक्ट में संशोधन के बाद इस समयावधि को घटाकर 15 दिन कर दिया गया है. वहीं प्रश्न और प्रस्तावों के लिए मिलने वाले 10 दिन के समय को 5 दिन कर दिया गया है. सदस्यों का कहना है कि कई ऐेसे सवाल पूछे गये थे जो छात्रों सहित विश्वविद्यालय के विकास से संबंधित थे लेकिन उपकुलपति ने अपने अधिकार के तहत हटा दिये. सदस्यों में इसको लेकर नाराजगी का सुर है.
बैठक में विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों के अटके परिणाम, पुराने प्रकल्पों की धीमी गति और प्रबंधन परिषद में अटके प्रस्तावों को लेकर भी चर्चा होगी. अल्पसंख्यक छात्रों के हॉस्टल का मामला अटका हुआ है. वहीं एलआईटी सहित कुछ कॉलेजों को आटोनॉमी मिलने से विश्वविद्यालय के आय के स्रोत कम हुए हैं. बैठक में आय के स्रोत बढ़ाने पर भी चर्चा की जाएगी. सुबह 11 बजे कैम्पस स्थित जमनालाल बजाज प्रशासकीय भवन में बैठक की शुरुआत होगी.