अजित पवार और शिवराज बाबा गूजर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
NCP Chintan Shivir: नागपुर सहित विदर्भ में अपना संगठन व पार्टी मजबूत करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस अजित पवार गुट ने हाल ही नागपुर में ‘चिंतन’ शिविर आयोजित किया था। 9 सूत्रीय नागपुर डिक्लेरेशन जारी कर पार्टी से युवाओं, महिलाओं सहित हर वर्ग के लोगों को बड़े पैमाने पर जोड़ने का संकल्प लिया गया था लेकिन इस शिविर के तुरंत बाद ही नागपुर जिलाध्यक्ष शिवराज बाबा गूजर ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे को अपना इस्तीफा भेजा है जिसमें स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, साथ ही यह भी कहा है कि वे संयुक्त एनसीपी से लेकर अजित पवार गुट तक बीते 8 वर्षों से जिलाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे हैं। अब किसी नये कार्यकर्ता को आगे लाकर पद की जिम्मेदारी देने की बात भी कही है।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि वे किसी से नाराज नहीं हैं और आगे भी अजित पवार, प्रफुल पटेल व पार्टी के साथ कार्य करते रहेंगे। जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी वह निभाएंगे। भले ही उन्होंने कारण जो भी दिया हो लेकिन राजनीतिक महकमे में तरह-तरह के कयास लगना शुरू हो गए हैं। किस तरह का ‘चिंतन’ करने के बाद गूजर ने इस्तीफा दिया इस पर चर्चा शुरू हो गई है।
महायुति के साथ मिलकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद से एनसीपी के नागपुर शहर व जिला पदाधिकारियों द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में 40 सीटों की मांग का दबाव बनाया जा रहा था। इसके साथ ही अजित पवार की उपस्थिति में नागपुर में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में तत्कालीन शहर अध्यक्ष प्रशांत पवार ने बेबाकी से अपनी बात रखते हुए शिकायत की थी कि पार्टी के मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं द्वारा यहां के कार्यकर्ताओं को समय नहीं दिया जाता, कोई सुनवाई नहीं होती।
कार्यकर्ताओं की भावना यह भी थी कि जब तक उन्हें कोई जिम्मेदारी वाला पद नहीं दिया जाता, जनता के काम नहीं किये जाते तब तक पार्टी को कैसे बढ़ाया जा सकेगा। एक तरह से कार्यकर्ता अपने अधिकार व न्याय की मांग कर रहे थे। लेकिन सम्मेलन के 1-2 दिन के बाद ही प्रशांत पवार को शहर अध्यक्ष पद से साइड कर प्रदेश महासचिव बना दिया गया। एक को साइड किया गया तो जिलाध्यक्ष बाबा गूजर चिंतन शिविर के ठीक बाद खुद ही पद से इस्तीफा देकर साइड हो गए।
गूजर के इस्तीफे से तो महकमे में सीधी चर्चा है कि उन्होंने पार्टी के आला नेताओं के रवैये को देखते हुए पद छोड़ने का फैसला लिया है। जब तक अजित पवार पार्टी विपक्ष में थी तब भी गूजर ने जिले में संगठन व पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी निभाई। एनसीपी की टूट के बाद वे शरद पवार की पार्टी छोड़कर दादा के साथ आ गए। टूट के बाद अनिल देशमुख ने गूजर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
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तब वे अजित गुट के अध्यक्ष बने। महायुति सरकार के साथ सत्ता में आने के बाद यहां के पदाधिकारियों को भी आस बंधी थी कि अब कोई अलग जिम्मेदारी मिलेगी लेकिन अपनी भावनाएं स्पष्ट रखने के बाद भी वैसा कुछ हुआ नहीं। कहा जा रहा है कि इसी रवैये के चलते अनेक पदाधिकारियों में नाराजगी के सुर हैं।
गूजर के इस्तीफा देने के बाद जिलाध्यक्ष पद के लिए 3-4 नामों की चर्चा शुरू हो गई है। इनमें राजा टांकसाले, नरेश अड़सड़े, राजू राऊत, सतीश शिंदे का समावेश है। भीतरखाने की मानें तो टांकसाले का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पार्टी कार्याध्यक्ष प्रफुल पटेल द्वारा उनका नाम लगभग फाइनल कर लिया गया है। केवल घोषणा का इंतजार है। वैसे अन्य पदाधिकारी भी फिल्डिंग में जुटे हुए हैं।