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नागपुर मेडिकल के 8 डाक्टरों को HC से बड़ी राहत, चिकित्सकीय लापरवाही की एफआईआर कर दी रद्द

Bombay High Court: हाई कोर्ट ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप में मेडिकल अस्पताल के कुछ डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Aug 17, 2025 | 09:59 PM

नागपुर मेडिकल के 8 डाक्टरों को HC से बड़ी राहत (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Nagpur News: हाई कोर्ट ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप में मेडिकल अस्पताल के कुछ डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है। साथ ही अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Addl. CJM) नागपुर द्वारा 29 अप्रैल 2024 को पारित उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने इस मामले को नए सिरे से फैसला लेने के लिए वापस अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार विट्ठल नगर निवासी केवलराम पटोले ने पत्नी पुष्पा पटोले को सर्जरी के लिए मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां पुष्पा की मृत्यु हो गई। मृत्यु के लिए सर्जरी के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए 30 जून 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी।

पुलिस ने 3 जुलाई 2020 को GMC अधीक्षक से राय मांगी और मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति ने 24 अगस्त 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें डॉक्टरों की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही न होने की बात कही गई। इस रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर, शिकायतकर्ता ने 27 जुलाई 2021 को राज्य के मुख्य सचिव और चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय के समक्ष समीक्षा की मांग करते हुए एक और शिकायत दर्ज कराई।

मामले की जांच के लिए बनी समितियां

जिस पर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशक (DMER), महाराष्ट्र ने एक दूसरी समिति का गठन किया। जिसने 13 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट में फिर से डॉक्टरों को आरोपों से बरी कर दिया। इस रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया था कि मरीज मल्टीनोड्यूलर गोइटर से पीड़ित थी और सर्जरी से पहले सभी आवश्यक प्रक्रियाएं, सहमति और तैयारियां विधिवत पूरी की गई थीं। DMER की 7 दिसंबर 2021 की एक और रिपोर्ट ने इस निष्कर्ष की पुष्टि कीन

एफआईआर दर्ज करने का आदेश

बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि इन जांच रिपोर्टों के बावजूद शिकायतकर्ता ने अप्रैल 2022 और बाद में 2024 में पुलिस आयुक्त के समक्ष कई और शिकायतें दर्ज कीं. वर्ष 2024 में शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 190 और 156(3) के तहत एक निजी शिकायत दायर की। 29 अप्रैल 2024 को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नागपुर ने आईपीसी (IPC) की धारा 304A, 201 और 202 सहपठित धारा 34 के तहत डॉक्टरों और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। इस आदेश को चुनौती देते हुए डॉक्टरों ने एफआईआर और उसके परिणामस्वरूप होने वाली सभी कार्यवाही को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

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बिना किसी कारण आदेश पारित

सुनवाई के दौरान डॉक्टरों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने तर्क दिया कि दो विशेषज्ञ चिकित्सा समितियों ने डॉक्टरों को लापरवाही के आरोपों से बरी कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का 29 अप्रैल 2024 का आदेश बिना किसी कारण बताए पारित किया गया था, जो नान-अप्लीकेशन आफ माईंड को दर्शाता है। यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि मजिस्ट्रेट को अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए और यह आदेश में स्पष्ट दिखना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने तर्क दिया कि सरकारी कर्मचारी के मामले में धारा 197 CrPC के तहत मंजूरी आवश्यक है। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 29 अप्रैल 2024 का आक्षेपित आदेश और एफआईआर संख्या 281/2024 को रद्द कर दिया गया है। मामले को नए सिरे से निर्णय लेने के लिए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास वापस भेज दिया गया।

8 medical doctors get big relief from hc fir for medical negligence cancelled

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Published On: Aug 17, 2025 | 09:59 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Medical College Nagpur
  • Nagpur News

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