डोंगरगांव में प्रदर्शन (सौजन्य-नवभारत)
Butibori News: अपने हक के पैसे के लिए भुखमरी का सामना कर रहे इन श्रमिकों ने गुरुवार को सुबह बूटीबोरी से नागपुर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर ‘भीख मांगो’ आंदोलन करते हुए मोर्चा निकाला और अपने जीवन संघर्ष की कहानी सीधे शासन के द्वार तक पहुंचाई। यह मोर्चा बूटीबोरी से डोंगरगांव तक पहुंचा, वहां धरना आंदोलन किया गया।
जिसके कारण 2 घंटे से अधिक समय तक जाम लगा रहा। इससे विद्यार्थियों से लेकर जरूरी कार्यों से आने-जाने वाले नागरिक, वाहन चालक सभी जहां के वहां रुक गये। उनको 2 घंटे से अधिक समय तक परेशान होते रहना पड़ा। जाम खुलने के बाद वाहन चालकों और लोगों ने राहत की सांस ली।
मोरारजी कंपनी के 1800 महिला-पुरुष श्रमिकों को पिछले तीन महीने से एक पैसा भी नहीं मिलने एवं इसमें दीवाली का बोनस भी बकाया होने के कारण उनके परिवारों पर बड़ा संकट आ गया है। वेतन बकाया होने से परिवार के सदस्यों पर मानसिक शोषण और भुखमरी की नौबत आ गई है।
श्रमिकों ने तीव्र भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि आज बच्चों की स्कूल फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं हैं, ऐसी दयनीय स्थिति है। इन श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए यह विशाल मोर्चा शिवसेना नेता तुषार डेरकर (उबाठा) के नेतृत्व में, साथ ही श्रमिक प्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में सुबह 7 बजे कंपनी गेट से निकाला गया। ‘मुख्यमंत्री साहब भीख दों!’, ‘हमारी मांगें पूरी करो!’ जैसे नारों से सड़कें गूंज उठीं। कंपनी से नागपुर की ओर बढ़ते हुए, डोंगरगांव के पास प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर धरना दिया, जिससे लगभग दो घंटे तक यातायात बाधित रहा।
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परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर एवं पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से चर्चा की और इस समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया। प्रशासन के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर स्थिति को नियंत्रित किया गया।
इस दौरान चर्चा करते हुए तुषार डेरकर ने न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। श्रम और हक के वेतन के लिए 1800 श्रमिकों द्वारा अपनाया गया यह ‘भीख मांगो’ का रुख, औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिक कानूनों के उल्लंघन और उनके ऊपर आए आर्थिक संकट की भयावहता को दर्शाता है।