मुंबई न्यूज
Mumbai News In Hindi: घाटे में चल रहे महामंडलों को बंद करने के सुझाव की ओर राज्य सरकार ने वर्षों तक अनदेखी की, जिसके कारण राज्य के कुल 110 में से लगभग 43 प्रतिशत महामंडल घाटे में थे, जबकि 9 प्रतिशत महामंडल ‘ना लाभ ना घाटा’ की स्थिति में चल रहे थे।
खास बात यह है कि घाटे में चल रहे महामंडलों को 50 हजार करोड़ से अधिक का घाटा हुआ है, जिससे ये महामंडल सरकार के लिए बोझ बन गए हैं। देश के सभी राज्यों के वित्त सचिवों की दो दिवसीय परिषद हाल ही में संपन्न हुई। इसमें महाराष्ट्र की वित्त सचिव (वित्त एवं कोषागार) डॉ रिचा बागला ने राज्य की वित्तीय सुधारों पर प्रस्तुति दी। वित्त वर्ष 2022-23 तक राज्य में कुल 110 सार्वजनिक उपक्रम या महामंडल सक्रिय थे।
इसके बाद पिछले दो वर्षों में यह संख्या 132 हो गई है। 2022-23 के वित्त वर्ष में मौजूद 110 में से 52 महामंडलों की कुल वार्षिक टर्नओवर 1 लाख 22 हजार करोड़ रुपये थी। उसी अवधि में 40 महामंडलों का कोई वार्षिक टर्नओवर नहीं था, ऐसी रिपोर्ट पेश की गई। वार्षिक टर्नओवर में ऊर्जा क्षेत्र की चार कंपनियों का योगदान 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये था। कार्यरत महामंडलों में से 43 प्रतिशत घाटे में थे, 41 प्रतिशत लाभ में और 9 प्रतिशत ‘ना लाभ ना घाटा’ की स्थिति में थे।
सात प्रतिशत महामंडलों की वित्तीय जानकारी उपलब्ध नहीं थी। कुल 110 में से 91 महामंडल सक्रिय थे जबकि 19 महामंडल बंद थे। हालांकि सरकारी महामंडल सरकार के लिए बोझ बन गए हैं, फिर भी नए महामंडलों की संख्या बढ़ रही है। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न जाति-विशिष्ट समाजों के महामंडलों की स्थापना की घोषणा हुई थी। कुछ विशेष जातियों को छोड़कर अन्य जातियों के महामंडल महायुति सरकार द्वारा स्थापित किए गए थे।
ये भी पढ़ें :- ठाकरे सरकार की वजह से ढाई साल लेट हुई मेट्रो, फडणवीस का बड़ा आरोप
घाटे में चल रहे महामंडलों को बंद करने की सलाह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कई वर्षों से दी है। घाटे में चल रहे महामंडलों को बंद करने की घोषणा कई बार विधानसभा में हुई, लेकिन सरकार स्तर पर इसे लागू करने की कोई इच्छा नहीं दिखाई दी। पिछले वर्ष कैग की रिपोर्ट में राज्य के 41 महामंडलों को 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घाटा होने की जानकारी दी गई थी। घाटे में चल रहे महामंडलों में महाराष्ट्र सड़क विकास महामंडल, एसटी मंडल, महाराष्ट्र वस्त्र उद्योग मंडल, महानिर्मिति कंपनी, मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे लिमिटेड जैसी विभिन्न मंडल या कंपनियां शामिल हैं। वहीं एमआईडीसी और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण जैसे महामंडल लाभ में चल रहे हैं।