मीरा भाईंदर मनपा (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: शहर की बढ़ती जनसंख्या और विद्यालयों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, मीरा-भाईंदर मनपा के शिक्षा विभाग में शिक्षा अधिकारी का पद पिछले करीब एक वर्ष से रिक्त है। इस कारण शहर के स्कूलों और कॉलेजों में प्रशासनिक कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं।
इससे पूर्व प्रतिनियुक्ति पर तैनात सरकारी शिक्षा अधिकारी का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया गया था। तब से यह पद खाली पडा है। वर्तमान में मनपा के अन्य अधिकारी यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन उन्हें शिक्षा, कानून, सरकारी आदेशों और नियमों की पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण सरकारी नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं हो पा रहा है।
शिक्षा व्यवस्था बदहाल आंकड़े चौंकाने वाले मीरा भाईंदर मनपा क्षेत्र में वर्तमान में 36 मनपा स्कूल, 17 निजी सहायता प्राप्त स्कूल, 33 गैर-सहायता प्राप्त स्कूल, 268 स्व-वित्तपोषित स्कूल, 20 कॉलेज और लगभग 12 से 15 अनधिकृत (बिना मान्यता) स्कूल संचालित हो रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर शिक्षा संस्थान होने के बावजूद, पिछले एक वर्ष से किसी भी सरकारी शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना (मनविसे) के मीरा-भाईंदर शहर अध्यक्ष रॉबर्ट डिसूजा ने मनपा आयुक्त राधाविनोद शर्मा को लिखे निवेदन पत्र में कहा कि, “अनुभवी शिक्षा अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण शहर की शिक्षा व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है। गरीब छात्रों और उनके अभिभावकों को दस्तावेज और शिकायतों के लिए ठाणे जिला परिषद या मुंबई स्थित चनीं रोड शिक्षा उपसंचालक कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार समस्याओं का समाधान तक नहीं होता।
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वर्तमान में मनपा अस्थायी रूप से वार्ड अधिकारी और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपती है, लेकिन इनके पास न तो अनुभव है, न अधिकार, जिसके चलते निजी शिक्षण संस्थानों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। निजी स्कूल प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रहे और अभिभावक रोजमर्रा की परेशानियों से जूझ रहे हैं। मनसे अध्यक्ष रॉबर्ट डिसूजा ने स्पष्ट किया कि शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति से कई कार्य व्यवस्थित हो पाएंगे। जैसे सरकारी योजनाओं और अनुदानों का नियंत्रण, निजी विद्यालयों की मान्यता और निगरानी, 365 विद्यालयों के लिए अनुदान का वितरण, सरकारी कार्यशालाओं का आयोजन, शिक्षकों की समस्याओं का समाधान, विद्यार्थियों को सरकारी स्तर पर उपलब्ध सुविधाएँ, नियमित कार्यालयीन कामकाज और प्रशासनिक नियंत्रण और आयुक्त के आदेशों का प्रभावी पालन आदि।