सुप्रिया सुले, श्रीकांत पांगारकर व एकनाथ शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार को शिवसेना पर ‘नैतिकता का ढोंग’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के आरोपी को निष्काषित नहीं किया है, केवल विधानसभा चुनाव तक अस्थायी रूप से पार्टी से हटाया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 2017 में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी श्रीकांत पांगारकर को जालना जिले में कोई पद देने पर रोक लगा दी है।
बीते शुक्रवार को पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की उपस्थिति में श्रीकांत पांगारकर ने शिवसेना की सदस्यता ली थी। इस दौरान खोतकर ने कहा था कि ‘‘पांगारकर पूर्व शिवसैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं। उन्हें जालना विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नामित किया गया है।” रविवार को एक बयान जारी कर शिवसेना ने कहा कि पांगारकर को जालना जिले में पार्टी का कोई पद देने पर अब तक फैसला नहीं किया गया है।
पत्रकार की हत्या के आरोपी को पार्टी में शामिल करने को लेकर हुए भारी विरोध के बीच रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने जालना जिले में आरोपी श्रीकांत पांगारकर की पार्टी में किसी भी पद पर नियुक्ति पर रोक लगा दी।
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एनसीपी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि श्रीकांत पांगारकर को लेकर शिवसेना की तथाकथित कार्रवाई चुनाव तक सीमित है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि ‘‘गौरी लंकेश हत्याकांड में एक आरोपी को पार्टी (शिवसेना) में लिया गया और फिर हटा दिया गया। लेकिन यह काफी नहीं होगा। केवल चुनाव के लिए नैतिकता का ढोंग किया गया है। चुनाव के बाद ऐसे गुंडों को फिर से शामिल कर लिया जाएगा।”
प्रख्यात पत्रकार गौरी लंकेश यांच्या हत्येच्या आरोपीला पक्षात घेऊन पावन करणाऱ्यांनी आता त्या व्यक्तीला पक्षातून बाहेर काढलेय. अर्थात जो ‘बूँद से गयी वह हौद से नहीं आती’. आता जो सोज्ज्वळतेचा बुरखा पांघरला जातोय तो केवळ तात्पुरता म्हणजेच फक्त निवडणूका पार पडेपर्यंत आहे. निवडणूकीनंतर…
— Supriya Sule (@supriya_sule) October 21, 2024
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बता दें कि पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित उनके आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराष्ट्र की एजेंसियों की सहायता से कर्नाटक पुलिस ने पूरे प्रकरण की जांच की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
श्रीकांत पांगारकर 2001 से 2006 तक जालना नगरपालिका के पार्षद रहे। उन्हें अगस्त 2018 में गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 4 सितंबर 2024 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)