
बालासाहेब ठाकरे के साथ संजय राउत (सोर्स: सोशल मीडिया)
Sanjay Raut Birthday Special Story: शिवसेना (यूबीटी) के फायरब्रांड नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत आज अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी बेबाकी, तेजतर्रार बयानों और दमदार लेखनी के लिए जाने जाने वाले संजय राउत आज भी राजनीतिक गलियारों में एक सशक्त और प्रभावशाली आवाज हैं।
संजय राउत तीन बार के राज्यसभा सांसद, पत्रकार, लेखक और उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी राजनीतिक रणनीतिकारों में से एक हैं। उनकी निडर पत्रकारिता, बेबाक राजनीतिक विचार और बाल ठाकरे के साथ लंबे जुड़ाव ने उन्हें महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तित्वों में से एक बना दिया है।
संजय राउत की पहचान उनकी निडर राजनीतिक टिप्पणियों से बनी है। उन्होंने कई बार राष्ट्रीय और राज्य की राजनीति में अपनी बात बिना लाग-लपेट के रखी है। चाहे केंद्र की राजनीति हो, महाराष्ट्र की सियासी उथल-पुथल या फिर गठबंधन की पेचीदगियां, राउत का बयान हमेशा सुर्खियों में रहता है।
संजय राउत अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते है। खासकर तब जब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हैं। वे पीएम मोदी और अमित शाह का मुखरता से विरोध करते हैं।
बहुत कम लोगों को पता है कि संजय राउत राजनीति में सक्रिय होने के अलावा एक चर्चित पत्रकार है। वह शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक है और अपनी लेखनी से पार्टी की विचारधारा को मजबूती से स्थापित किया।
संजय राउत 2004 से लगातार राज्यसभा सदस्य हैं। संसदीय बहसों में उनकी स्पष्टवादिता और मजबूत तर्क उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। उन्होंने कई राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय दृढ़ता के साथ रखी है।
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी नेताओं में संजय राउत की गिनती होती है। पार्टी के विभाजन के दौरान उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ डटकर खड़े रहे। कई राजनीतिक मुश्किल घड़ियों में वे पार्टी का चेहरा बनकर उभरे।
सामना से जुड़ने के बाद संजय राउत ने अखबार में कई बड़े बदलाव किए। संपादकीय लेखों में शिवसेना की विचारधारा से जुड़ी सामग्री छपने लगी और अखबार धीरे-धीरे बालासाहेब ठाकरे की आवाज बन गया।
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत
उन्होंने बाल ठाकरे की शैली में संपादकीय लिखना शुरू किया। राउत संपादकीय लिखते तो थे, लेकिन उन्हें पढ़ने के बाद लोग मान लेते थे कि बाल ठाकरे ही लिख रहे हैं। सामना में यह चलन काफी लोकप्रिय हुआ और आज भी अखबार के संपादकीय शिवसेना का आधिकारिक संस्करण माने जाते हैं।
धीरे-धीरे संजय राउत बालासाहेब के बेहद करीब हो गए और धीरे-धीरे शिवसेना की आंतरिक राजनीति का हिस्सा बन गए। हालांकि राउत ने अंबेडकर कॉलेज से बी.टेक की पढ़ाई की थी, लेकिन वे छात्र जीवन से ही शिवसेना की छात्र इकाई में सक्रिय रहे।
उनकी राजनीतिक सोच और दूरदर्शिता को देखते हुए, बाल ठाकरे ने उन्हें शिवसेना का “उपनेता” नियुक्त किया। पार्टी तेजी से आगे बढ़ी और 2004 में शिवसेना के टिकट पर वे पहली बार राज्यसभा पहुंचे। वहां भी वे शिवसेना के ही नेता रहे।
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संजय राउत ने संसदीय और गृह मामलों की समितियों के सदस्य के रूप में भी काम किया। 2005 से 2009 के बीच, राउत नागरिक उड्डयन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी रहे।
संजय राउत का जन्म राजगड जिले के अलीबाग में 15 नवंबर 1961 को हुआ। उनका पारिवारिक जीवन सादगीपूर्ण रहा है और वे अपनी बेटी व परिवार के प्रति गहरा लगाव रखते हैं।
आज शिवसेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का जन्मदिन है, जो अस्वस्थता के कारण चिकित्सा उपचार ले रहे हैं। चूंकि डॉक्टर ने उन्हें कुछ दिनों तक आराम करने की सलाह दी है, इसलिए उनके परिवार के सदस्यों ने सूचित किया है कि वह कल किसी से भी व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी शुभकामनाएं स्वीकार नहीं करेंगे।
इसलिए, शिवसैनिकों से आग्रह किया गया है कि वे भांडुप स्थित उनके आवास पर मिलने के लिए भीड़ न लगाएं। शिवसेना के राष्ट्रीय नेता कहे जाने वाले संजय राउत का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उन्हें कुछ दिनों तक सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहने की सलाह दी है।
पिछले कुछ दिनों से वह केवल सोशल मीडिया के माध्यम से ही जनता से संवाद कर रहे हैं। कुछ दिन पहले जब उन्होंने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर सलाइन लगी सुइयों वाले हाथ की तस्वीर पोस्ट की तो उन्हें ‘जल्द स्वस्थ हो जाओ’ जैसी शुभकामनाओं का तांता लग गया।






