उद्धव ठाकरे की रैली में खाली कुर्सियां व संजय निरुपम (डिजाइन फोटो)
Sanjay Nirupam Social Media Post On Uddhav Thackeray Rally: मुंबई के शिवाजी पार्क में शिवसेना (यूबीटी) की दशहरा रैली हुई इस दौरान उद्धव ठाकरे ने भाषण शुरू किया, लेकिन इस बार मैदान में भीड़ का उत्साह अपेक्षाकृत कम नजर आया। कई जगह खाली कुर्सियां दिखाई दीं, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर तंज कसना शुरू कर दिया।
कांग्रेस से हाल ही में निलंबित नेता संजय निरुपम ने शिवसेना (यूबीटी) की दशहरा रैली की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला बोला।
शिंदे गुट के नेता निरुपम ने एक्स पर लिखा कि “जो पार्टी 288 में से 109 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 20 सीटें जीतने की क्षमता रखती है, उसकी सभा का यही वास्तविक दृश्य है। ऊपर से शिवसेना प्रमुख यह सब देखकर कितने कुपित होते होंगे, इसका अंदाज बायलॉजिकल वारिसों को नहीं होगा।”
जो पार्टी 288 में से 109 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ़ 20 सीटें जीतने की क्षमता रखती है,उसकी सभा का वास्तविक दृश्य।
ऊपर से शिवसेना प्रमुख यह सब देखकर कितने कुपित होते होंगे,इसका अंदाज़ बायलॉजिकल वारिसों को नहीं होगाpic.twitter.com/tLj7eWEcAu — Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 3, 2025
संजय निरुपम के इस पोस्ट को लेकर राजनीतिक हलकों में खासी चर्चा शुरू हो गई है। उनके बयान को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व और संगठन की क्षमता पर सवाल खड़े करने वाला माना जा रहा है। खासकर ऐसे समय में जब ठाकरे गुट लगातार यह दावा कर रहा है कि असली शिवसेना उनके पास है और मराठी मानुष का समर्थन उन्हीं को मिल रहा है।
दशहरा रैली शिवसेना के लिए हमेशा से ताकत प्रदर्शन और राजनीतिक संदेश देने का बड़ा मंच रही है। हालांकि इस बार मैदान पूरी तरह नहीं भरने को विपक्षी दल जनता के घटते समर्थन का संकेत बता रहे हैं। वहीं ठाकरे गुट का कहना है कि भीड़ से ज्यादा संदेश और विचारधारा महत्वपूर्ण हैं।
शिवसेना नेता निरुपम ने कहा कि ठाकरे बंधुओं के साथ आने की बातें सिर्फ मीडिया में चल रही हैं और इसका कोई खास असर नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि एकनाथ शिंदे अब मराठी जनता में एक बड़ा ब्रांड बन गए हैं।
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संजय निरुपम ने शिवसेना (यूबीटी) पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने और अब हिंदू वोट हासिल करने के लिए मठों से गठजोड़ करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने शिवाजी पार्क में शिवसेना यूबीटी की रैली को सिर्फ़ “कीचड़ उछालने” की राजनीति बताया।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने रैली में अपने भाषण के दौरान मराठी भाषा, संस्कृति और मुंबई की पहचान की रक्षा का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि मराठी के सम्मान पर कोई समझौता नहीं होगा और मुंबई की असली पहचान मराठी लोगों के संघर्ष में निहित है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रैली के दौरान खाली कुर्सियां और निरुपम का तंज आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में नए सियासी विमर्श को जन्म देंगे। अब देखना होगा कि ठाकरे गुट विपक्ष की इस आलोचना का कैसे जवाब देता है।