डॉलर के मुकाबले रुपया, (डिजाइन फोटो)
Rupees Goes Down At Lowest Level: भारतीय शेयर बाजार से विदेशी कोषों की लगातार बिकवाली और बड़ी संख्या में लाए जा रहे सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) में ऑफर फॉर सेल, (ओएफएस) के द्वारा पूंजी की निकासी से भारतीय मुद्रा कमजोर होती जा रही है।
बुधवार को तो विदेशी मद्रा विनिमय बाजार में रुपया पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे लुढ़क गया तथा यह 19 पैसे टूटकर 90।15 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो इसका सर्वकालिक निचला स्तर है। इस साल अब तक आए।
कुल आईपीओ में एक लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि ओएफएस के जरिए बटोरी गयी है, यह पैसा मुख्यतः विदेशों में ही जा रहा है, जिसके कारण डॉलर की मांग बढ़ रही है और रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। इन महंगे आईपीओ में देश के निवेशकों को नुकसान भी हो रहा है।
इससे शेयर बाजार में भी मंदी छाई हुई है। इसके बावजूद ओएफएस पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही है। विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता कायम रहने और रुपये की गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक के आगे न आने से स्थानीय मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई। भारतीय मुद्रा के लगातार कमजोर होने के बावजूद मुख्य आर्थिक सलाहकार वी। अनंत नागेश्वरन ने कहा कि रुपये में गिरावट को लेकर सरकार चिंतित नहीं है।
इसका असर दलाल स्ट्रीट वा फॉरेक्स ट्रेडर्स से कहीं आगे तक जाता है। रुपये की कमजोरी अब औसत भारतीय परिवार को प्रभावित कर रही है, फ्यूल बिल से लेकर ईएमआई, ट्यूशन फीस और ट्रैवल कॉस्ट तक इसका असर दिखेगा, भारत 90% तेल आयात करता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, उर्वरक और खाद्य तेल के लिए भी विदेश पर निर्भर है। कमजोर रुपया इन सबको महंगा बना देता है।
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