रामदास आठवले (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों की तैयारियां तेज हो गई हैं और इसी बीच महायुति गठबंधन के भीतर दरार गहराने लगी है। सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजीत पवार गुट के बीच पहले से ही खींचतान चल रही थी। अब रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने भी बयान देकर गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में आरपीआई को महायुति के हिस्से के रूप में एक भी सीट नहीं दी गई थी। उस समय आठवले ने विरोध तो दर्ज कराया था लेकिन खुलकर नाराज़गी जाहिर नहीं की थी। हालांकि, निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में अब उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दे दी है।
सोलापुर जिले के माळदा तालुका अंतर्गत कुई बाड़ों में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में आठवले ने कहा कि अगर बीजेपी आगामी निकाय चुनावों में आरपीआई को सम्मानजनक सीटें नहीं देती, तो कार्यकर्ता अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने शेरो-शायरी के अंदाज में भाषण की शुरुआत की और फिर जिले में अपनी पार्टी की ताकत का बखान करते हुए कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारी में जुट जाने के निर्देश दिए।
आठवले ने कहा कि आरपीआई सिर्फ बौद्ध समाज के वोटों पर निर्भर नहीं है। उनकी पार्टी को समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है और इसी समर्थन के सहारे वे स्थानीय निकाय चुनावों में अधिक से अधिक सीटें जीत सकते हैं।
आठवले के इस बयान ने महायुति के भीतर तनाव बढ़ा दिया है। पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर असंतोष झेल रहे गठबंधन को अब आरपीआई की नाराज़गी का भी सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि आठवले अपने दम पर चुनाव लड़ने का रास्ता चुनते हैं, तो महायुति को नुकसान उठाना पड़ सकता है।