रायगढ़ वामपंथी शेकाप (pic credit; social media)
Raigarh News: रायगढ़ जिला, जिसे कभी शेतकरी कामगार पार्टी यानी शेकाप का गढ़ माना जाता था, अब भाजपा का गढ़ बनता जा रहा है। आंतरिक तानाशाही और विकास विरोधी छवि ने शेकाप का जनाधार कमजोर कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि सत्ता से लगातार दूर रहने वाली पार्टी के नेता एक-एक करके भाजपा में शामिल हो गए और कभी वामपंथी रही आवाज अब हिंदुत्व की राजनीति में बदल गई है।
शेकाप की नींव 1948 में रखी गई थी। किसानों और मजदूरों की आवाज उठाकर पार्टी ने राज्य में वामपंथी विचारधारा का मजबूत आधार तैयार किया। नारायण नागू पाटिल, डी. बा. पाटिल, दत्ता पाटिल, प्रभाकर पाटिल, मोहन पाटिल और मीनाक्षी पाटिल जैसे नेताओं ने पार्टी को ऊँचाइयों तक पहुंचाया। विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद भी पार्टी ने संभाला। रायगढ़ इस सफर में केंद्र बिंदु बना रहा।
लेकिन धीरे-धीरे शेकाप की पकड़ ढीली पड़ने लगी। आंतरिक मतभेद, नेतृत्व की तानाशाही और सत्ता से दूर रहने की रणनीति ने पार्टी की लोकप्रियता को खत्म कर दिया। परिणामस्वरूप, प्रतिभाशाली नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने लगे।
इसे भी पढ़ें- रायगढ़ की अर्थव्यवस्था में रफ्तार, 2028 तक जीडीपी होगी 3 लाख करोड़
सबसे पहले पनवेल के पूर्व सांसद रामशेठ ठाकुर और प्रशांत ठाकुर ने भाजपा का दामन थामा। इसके बाद पेन से धैर्यशील पाटिल और नीलिमा पाटिल भी भाजपा में शामिल हो गए। अलीबाग में पाटिल परिवार के अंदरूनी विवाद ने पूर्व विधायक पंडित उर्फ सुभाष पाटिल और जिला सचिव असवद पाटिल को भी शेकाप से दूर कर दिया और वे भाजपा में चले गए।
इसी तरह, उरण से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रीतम म्हात्रे और जे. एम. म्हात्रे भी भाजपा में शामिल हो गए। अब स्थिति यह है कि रायगढ़ की भाजपा संगठन में शेकाप नेताओं का दबदबा दिखाई देता है। सांसद धैर्यशील पाटिल को दक्षिण रायगढ़ का जिला अध्यक्ष और चित्रा असवद पाटिल को महिला मोर्चा अध्यक्ष का पद मिला है।
राजनीतिक समीकरणों के इस बदलाव ने रायगढ़ की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। जो नेता कभी वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाते थे, वही अब भाजपा की हिंदुत्ववादी नीतियों को मजबूत कर रहे हैं। शेकाप जहां अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है, वहीं भाजपा रायगढ़ में लगातार मजबूत होती जा रही है।