अजित पवार-पार्थ पवार और देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: डिप्टी सीएम अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार के कथित जमीन घोटाले को विवाद सुर्खियों में बना हुआ है। पार्थ की कंपनी पर आरोप है कि 40 एकड़ जमीन, जिसका बाजार मूल्य 1800 करोड़ रुपए है, उसे मात्र 300 करोड़ रुपए में खरीदा गया। हालांकि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद इस सौदे को रद्द कर दिया गया है।
इस डील के लिए 21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी की राशि माफ करते हुए मात्र 500 रुपए का भुगतान किया गया था। ऐसे में अब स्टाम्प विभाग ने पार्थ की कंपनी को 10 दिनों के भीतर जुर्माने के रूप में 42 करोड़ रुपए के भुगतान का नोटिस दिया है। इस वजह से पार्थ की मुश्किलें बढ़ गई है।
हालांकि अब महायुति सरकार में राजस्व मंत्री चंदाशेखर बावनकुले ने कहा है कि वे स्टाम्प शुल्क विभाग से इस बात की जानकारी लेंगे कि जब जमीन का सौदा रद्द हो गया है तो फिर 42 करोड़ की दंड राशि लेने का क्या औचित्य हैं। उन्होंने इस बारे में सोमवार को मीटिंग बुलाई है। बावनकुले ने कहा कि 40 एकड़ की जमीन सरकारी थी। ऐसे में जब यह सौदा रद्द हो गया तो फिर 42 करोड़ रुपए वसूलने का क्या मतलब है। आखिर इस राशि का क्या उपयोग है। इन तमाम बातों पर स्टाम्प शुल्क विभाग के साथ चर्चा होगी।
एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सूचना के अधिकार खुलासा किया कि पार्थ पवार की कंपनी अमीडिया होल्डिंग्स एलएलपी ने पुणे को मुंढवा इलाके में सरकारी जमीन बेहद कम दाम में खरीदी है। 40 एकड़ की इस जमीन का मूल्य करीब 1,804 करोड़ मूल्य की है। लेकिन इसे मात्र 300 करोड़ में खरीदा गया। इस सौदे के सिर्फ दो दिन बाद ही 21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई और कंपनी ने सिर्फ मात्र 500 रुपए बतौर स्टांप ड्यूटी चुकाई, जिसको लेकर हो हल्ला मचा हुआ है।
यह जमीन महार वतन भूमि कानून के तहत आती है। इसलिए विपक्ष ने काफी हंगामा मचाया। जिसके बाद डिप्टी सीएम अजित पवार भी बुरी तरह से फंस गए, इसके बाद डैमेज कंट्रोल करते हुए जमीन सौदा को रद्द कर जांच समिति का गठन किया गया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि पार्थ पवार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा महायुति सरकार बेशर्म है। ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ कहते हुए सत्ता में आई थी, लेकिन अब ‘तुम भी खाओ, हम भी खाते हैं’ जैसी व्यवस्था चल रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजति दमानिया ने बोपोडी भूमि घोटाले के मामले में उपमुख्यमंत्री और पुणे के पालकमंत्री अजित पवार से अपने पदों से इस्तीफा देने की मांग की है। साथ ही उन्होंने पार्थ पवार पर तत्काल मामला दर्ज करने की भी मांग की है। बुधवार 12 नवंबर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दमानिया ने कहा कि बोपोडी जमीन चौटाला मामले की जांच समिति में 6 में से 5 सदस्य पुणे के है।
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उन्होंने सवाल उठाया कि 42 करोड़ रुपए देने के बावजूद यदि यह सौदा रद्द नहीं होता है तो क्या अगीत पवार के उपमुख्यमंत्री और पालक मंत्री रहते हुए यह समिति निष्पक्ष जांच कर पाएगी? इस मौके पर दमानिया ने कहा कि किसी भी जमीन का सौदा रद्द करते समय केवल जगह का मालिक या सखरीदार ही इन्से रद्द कर सकता है।
लेकिन शिवानी तेजवानी उस जगह की मालकिन नहीं है। इसलिए उन्हें गायकवाड परिवार की ओर से सेल डीड पर हस्ताक्षर करने कर कोई अधिकार नहीं है, कानून के अनुसार इस खरीद को पार्थ पचार या उनकी कंपनी भी रद्द नहीं कर सकती क्योंकि उनके पास जमीन के अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सौदा रद्द करने की एक प्रक्रिया होती है।