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नवी मुंबई एयरपोर्ट बना ‘विकास’ का प्रतीक, लेकिन 10 गांवों के किसानों के सपने अब भी अधूरे

Mumbai News: नवी मुंबई एयरपोर्ट के लिए 1160 हेक्टेयर जमीन देने वाले किसानों के जीवन में विकास की रफ्तार थम गई है। किसानों को अब तक रोजगार नहीं मिला है।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Oct 11, 2025 | 12:10 PM

नवी मुंबई एयरपोर्ट (pic credit; social media)

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Navi Mumbai Airport: नवी मुंबई, पनवेल और उरण के आसमान में उड़ने जा रहा नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकास की एक नई इबारत लिखने को तैयार है। लेकिन इस चमकदार विकास की नींव 10 गांवों के उन किसानों के त्याग पर टिकी है, जिन्होंने अपनी 1160 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन इस परियोजना के लिए सौंप दी। सवाल यह है कि क्या जिनके पसीने से विकास का यह ताज बना, वे खुद उस रोशनी में शामिल हैं?

2007 से 2014 के बीच सिडको प्रशासन और किसानों के बीच टकराव और विरोध प्रदर्शन का लंबा दौर चला। किसानों ने पुनर्वास और सम्मान की लड़ाई लड़ी। आखिरकार सिडको ने परियोजना प्रभावित लगभग 3 हजार परिवारों को मुआवजा पैकेज देने का फैसला किया, जिसमें अधिग्रहित भूमि के बदले 12.5 प्रतिशत विकसित भूखंड और 10 प्रतिशत अतिरिक्त जमीन यानी कुल 22.5 प्रतिशत जमीन शामिल थी।

कागजों पर मुआवजे की यह कहानी सुनने में भले ‘विकास’ जैसी लगे, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। किसानों का कहना है कि उनके साथ किए गए वादे अब भी अधूरे हैं। उन्हें रोजगार नहीं मिला, पुनर्वास क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। जिन युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने का वादा किया गया था, वे आज भी ठोस रोजगार के इंतजार में हैं।

इसे भी पढ़ें- नवी मुंबई को मिली विकास की नई रफ्तार, ‘गेम चेंजर’ बनेगा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट

परियोजना के पहले चरण में 15 हजार नौकरियों का दावा किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों को इसमें प्राथमिकता नहीं मिली। “हमने अपनी जमीन दी, लेकिन अब न घर है न रोजगार,” एक विस्थापित किसान का दर्द छलक पड़ा।

कई किसानों ने पुनर्वास भूमि पर छोटे-छोटे व्यापार शुरू किए, लेकिन स्थिर आय का संकट अब भी बरकरार है। शहरी फैलाव और महंगाई ने उनके जीवन को और कठिन बना दिया है। इतना ही नहीं, अब स्थानीय लोग हवाई अड्डे का नाम अपने आंदोलन के नेता दिवंगत दी. बी. पाटिल के नाम पर रखने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया, पर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई।

हैरानी की बात यह है कि सिडको, जिसने यह परियोजना शुरू की थी, अब रोजगार देने के अधिकार से भी वंचित है, क्योंकि अधिकांश अधिकार अडानी ग्रुप को सौंप दिए गए हैं। नतीजा विकास की उड़ान आसमान में जरूर दिख रही है, लेकिन ज़मीन पर खड़े वे किसान आज भी सवाल कर रहे हैं “क्या हमारा त्याग बेकार गया?”

Navi mumbai airport become symbol of development but the dreams of farmers from 10 villages remain unfulfilled

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Published On: Oct 11, 2025 | 12:10 PM

Topics:  

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