
आवारा कुत्ते (फाइल फोटो)
Stray Dogs In Mumbai: मुंबई शहर के उपनगरों में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है और नगर पालिका द्वारा की गई नसबंदी कोई स्थायी समाधान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महानगरपालिका एक्शन प्लान के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों एवं गैर शैक्षणिक संस्थाओं के फेंसिंग (बाड़ लगाना) करने और नोडल ऑफिसर की नियुक्ति करने का प्लान बनाया है।
मसले पर उत्तर पूर्व जिले के सांसद संजय दीना पाटिल ने आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था करने की मांग की है। एक्टिविस्ट एडवोकेट सिधा विद्या का मानना है कि मनपा अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिये। एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) का पालन नहीं किया जाता है मौजूदा समय में कुत्तों के लिये शेल्टर होम नहीं है।
जानकारी के अनुसार मनपा ने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद एक्सन प्लान के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों को फेंसिंग करने का निर्देश दे रहे है शैक्षणिक संस्थानों और गैर शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों के आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए है। सभी जगहों पर नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी, बाद में स्थाई शेल्टर होम बनाने की प्रक्रिया करने की मंशा बनाई है।
उत्तर पूर्व मुंबई महाविकास अघाड़ी के सांसद संजय दीना पाटिल ने भी मांग की है कि आवारा कुत्तों को आश्रय (शेल्टर होम) में सखा जाए, जहां उनकी उचित देखभाल की जाए और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का तुरंत पालन किया जाए। मनपा द्वारा कुत्तों को जाने वाली नसबंदी योजना पूरी तरह विफल रही है क्योंकि नसबंदी के बाद भी आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है।
आवारा कुत्तों द्वारा छोटे बच्चों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही है और पिछले एक साल में 70000 से ज्यादा नागरिकों को कुत्तों ने काटा है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों से कुत्तों को आश्रय स्थली में रखा जाए, घाटकोपर, विक्रोली, भांडुए साईनाथ चौक, म्हाडा कॉलोनी, न्यू पीएमजीपी कॉलोनी, मुलुंड पूर्व में संभाजी हॉल, हनुमान नगर, प्रत्ताप नगर, जमील नगर, सौनापुर क्षेत्र, गोवंडी, शिवाजी नगर, मानखुर्द जैसे इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
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मनपा अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं है। कुते काटने की घटना बढ़ी है। न्यायालय ने कई बार आदेश दिया है, एबीसी (एनिमल वर्ष कंट्रोल रूल्स) का पालन होना चाहिए। शेल्टर हाउस खोलने के नाम पर भूमाफिया सक्रिय हो जाएंगे, शेल्टर हाउस और खाना खिलाने के नाम पर स्कैम होगा। कुत्ते भूखे मरेंगे, फीडर्स कुते के लिए काम करते थे, लेकिन उनको प्रशासन द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है, जब कि यही लोग कुत्तों के खाने पीने और वैक्सीनेशन करवाते थे।
– सिधा विद्या, एडवोकेट एवं पूर्व सदस्य महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड, बूचड़खाना निगरानी समिति






