म्हाडा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई में अब पुनर्विकास करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) को समय पर किराया नहीं चुकाया जा रहा है, जो अब करोड़ में पहुंच चुका है। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने मुंबई में खतरनाक इमारतों में रहने वालों के लिए ट्रांजिट कैंप में अस्थायी आवास प्रदान किया है।
इन इमारतों का पुनर्विकास करने वाले डेवलपर्स को निवासियों के लिए संक्रमण शिविर भी किराए पर दिए गए हैं, लेकिन इनमें से कई डेवलपर्स और निवासियों ने म्हाडा का 188 करोड़ रुपये का किराया बकाया रखा है। इसलिए म्हाडा अब उक्त किराये की बकाया राशि की वसूली कैसे करे, इस बारे में सोच रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, मुंबई और उपनगरों में म्हाडा के 34 ट्रांजिट कैंप हैं और इनमें लगभग 20,000 लोग रहते हैं। यदि इमारत खतरनाक हो जाती है या ढह जाती है, तो संबंधित निवासियों को ट्रांजिट कैंप में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
संबंधित निवासियों से प्रति माह 500 रुपये का शुल्क लिया जाता है, जबकि ट्रांजिट कैंप में दिए गए दुकानों के लिए डेवलपर से प्रति माह 6,000 रुपये का शुल्क लिया जाता है, साथ ही ट्रांजिट कैंप में अतिक्रमण करने वालों से प्रति माह 3,000 रुपये का शुल्क लिया जाता है।
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म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किराया बकाया का आंकड़ा 188 करोड़ तक पहुंच गया है, क्योंकि कई किरायेदार, अतिक्रमणकर्ता और डेवलपर्स निवासियों की ओर से किराया देने से इनकार कर रहे हैं, जबकि संबंधितों को समय पर किराया भुगतान करना आवश्यक है।
संक्रमण शिविर डेवलपर को इसलिए उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि डेवलपर बिल्डिंग का पुनर्विकास करते समय निवासियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। इसके लिए प्रति फ्लैट छह हजार रुपये मासिक किराया लिया जाता है।
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लेकिन, डेवलपर किराया देने में आनाकानी कर रहे हैं। इसलिए, म्हाडा बकाया राशि की वसूली के लिए संबंधित डेवलपर को स्टॉपेज नोटिस जारी करेगी, जो बढ़कर 65 करोड़ रुपये हो गई है।