उद्धव ठाकरे व राज ठाकरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
Uddhav-Raj Thackeay Alliance: आगामी मुंबई महापालिका चुनाव में पूर्व नगरसेवकों के वोटों का सम्मान रखते हुए उनकी पसंद के उम्मीदवार देने का विचार चल रहा है। इससे पार्टी में नये और पुराने कार्यकर्ताओं का समन्वय बनाए रखते हुए उद्धव गुट के कम से कम 70 प्रतिशत नए चेहरे उम्मीदवार होंगे। इसके लिए दोनों पक्षों के नेता रणनीति बना रहे हैं।
उद्धव और राज ने अभी तक गठबंधन की घोषणा नहीं की है, फिर भी दोनों पक्षों के नेताओं की संयुक्त बैठकें हुई हैं। इनमें हर वार्ड में दोनों पक्षों की ताकत और प्रभाव को ध्यान में रखकर सीट बंटवारे पर विचार किया जा रहा है।
दोनों पक्षों के नेताओं ने अपने-अपने स्थानीय आपसी समन्वय रख मतदाताओं की करें जांच कार्यकर्ताओं को संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि मराठी बहुल इलाकों को छोड़कर शेष वार्डों में उद्धव गुट को प्राथमिकता दी जाएगी। शिवसेना ने 2017 के महापालिका चुनाव में 84 सीटें जीती थीं लेकिन उनमें से कई पूर्व नगरसेवक शिंदे गुट में चले गए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) और मनसे नेताओं ने जानकारी दी है कि मतदार सूची में गड़बड़ी या बदल को रोकने के लिए दोनों पक्षों के कार्यकर्ता मिलकर वार्डवार जांच करेंगे, उद्धव सेना के शाखा प्रमुखों को मनसे के शाखा अध्यक्षों के साथ समन्वय रखते हुए घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच करनी चाहिए।
इस अवसर पर दोनों पक्षों के पारंपरिक मतदाताओं को मतदान का आह्वान करने पर जोर देने की सूचनाएं जल्द ही दी जाएंगी, इसलिए उनकी जगह नये चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा। वहीं शिकायत प्राप्त तथा 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पूर्व नगरसेवकों को इस बार उम्मीदवारी का मौका नहीं दिया जाएगा लेकिन उनके वार्ड में उनके अनुभव, पार्टी में योगदान को ध्यान में रखते हुए उनका मत भी विचार में लिया जाएगा।
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मुंबई महानगरपालिका तथा स्थानीय निकाय चुनावों में उद्धव ठाकरे ने रणनीति बदलने के संकेत दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि पुराने साथियों से मिले धोखे के बाद उद्धव निकाय चुनावों में युवाओं अर्थात जेन-जी (Gen-Z) पर अपना दांव लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने 30 से 40 साल के युवाओं को पार्टी के उमीदवारी देने का मन बना लिया है। इससे उनकी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) में उनके साथ मौजूद उन उम्रदराज नेताओं में हड़कंप मच गया है जो वर्षों से नगरसेवक बनने का सपना देखते आए हैं और जिन्हें लग रहा था कि पार्टी में बीते तीन-चार वर्षों में मची भगदड़ के बाद अब उनकी इच्छा पूरी हो सकती है।