मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai Suvidha Kendra News: मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में स्वच्छता और स्वास्थ्य क्रांति लाने वाली ‘सुविधा केंद्र’ पहल ने शहर की झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियों की तस्वीर बदल दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पथप्रदर्शक योजना की सफलता को रेखांकित करते हुए इसकी सराहना की है और इसे पूरे शहरी महाराष्ट्र के लिए एक आदर्श मॉडल घोषित किया है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह पहल न केवल शहरी स्वच्छता सुनिश्चित कर रही है, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से स्वास्थ्य और आर्थिक आत्मनिर्भरता का एक नया मानक स्थापित कर रही है।
मुख्यमंत्री फडणवीस की संकल्पना से शुरू हुआ ‘स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान’ इस ‘सुविधा केंद्र’ मॉडल के दम पर मुंबई में तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। यह पहल बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की संयुक्त साझेदारी का परिणाम है, जिसने कम समय में ही उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई जैसे विशाल आबादी वाले महानगर में जहां स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएं एक बड़ी चुनौती होती हैं, वहां ‘सुविधा केंद्र’ मॉडल ने दिखा दिया है कि साझेदारी से उत्कृष्ट कार्य किया जा सकता है। यह केंद्र शहर की स्वास्थ्य सुरक्षा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का तेजी से विस्तार हो रहा है। यह मुंबई की वंचित बस्तियों में स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता को दर्शाती है। वर्तमान में मुंबई में 23 केंद्र पूरी तरह से कार्यरत हैं। 24 वां केंद्र शीघ्र ही शुरू होने वाला है। 2 अतिरिक्त केंद्र निर्माणाधीन हैं और 7 केंद्रों के प्रस्ताव प्रगति के पथ पर हैं।
इसमें बीएमसी और एचयूएल के साथ अब एचएसबीसी और जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन (जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन) जैसी संस्थाएं भी जुड़ गई हैं। इनके सहयोगों से यह योजना अगले कुछ वर्षों में मुंबई महानगर क्षेत्र में और अधिक व्यापक स्वरूप ले लेगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुंबई महानगर क्षेत्र में इस तरह के और सुविधा केंद्र शुरू करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि ये केंद्र स्वच्छता की स्थायी व्यवस्था के महत्वपूर्ण घटक सिद्ध हुए हैं।
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘सुविधा केंद्र’ सिर्फ ईंट और मोर्टार से बनी संरचनाएं नहीं हैं। वे सामुदायिक स्वास्थ्य और सम्मान का प्रतीक बन गए हैं। अब तक 5.5 लाख नागरिकों ने इन केंद्रों की सुरक्षित, स्वच्छ और वहनीय (किफायती) सुविधाओं का सीधा लाभ लिया है।
समुदाय की महिलाओं की सक्रिय भागीदारी इस पहल की एक अनूठी विशेषता है। 300 प्रशिक्षित महिलाओं ने एक मजबूत व्यवहार परिवर्तन अभियान चलाया। अभियान से 7.5 लाख नागरिकों को स्वच्छता और स्वास्थ्य जागरूकता की शिक्षा मिली, जिससे उनकी आदतों और स्वास्थ्य-जागरूकता में सकारात्मक बदलाव आया।
स मॉडल का सबसे प्रभावशाली परिणाम स्वास्थ्य के मोर्चे पर सामने आया है। दूषित पानी और गंदगी से होने वाली बीमारियों के खिलाफ यह एक प्रभावी ढाल साबित हुआ है। सुविधा केंद्रों के उपयोग के कारण, जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) संबंधी बीमारियां, अतिसार (डायरिया) और मूत्रमार्ग के संक्रमण के मामलों में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस सुधार को रेखांकित करते हुए कहा कि झुग्गी बस्तियों में सर्वाधिक समस्या दूषित पानी और अस्वच्छता से होने वाले रोगों की थी, जो अब लक्षणीयरित्या कम हो गई है। यह शहरों के स्वास्थ्य सूचकांक के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
‘सुविधा केंद्र’ मॉडल की सफलता दो प्रमुख स्तंभों पर टिकी है, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक आत्मनिर्भरता। इन केंद्रों में जल-बचत तकनीक, ऊर्जा दक्षता और कुशल अपशिष्ट प्रबंधन को अपनाया गया है। यह डिजाइन इन्हें पर्यावरण-अनुकूल बनाता है और पर्यावरणीय स्थिरता का एक उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है। यह मॉडल केवल अनुदान पर निर्भर नहीं है।
यह योजना इस तरह डिजाइन की गई है कि केंद्र अपनी शुरुआत के 9 महीनों के भीतर ही अपना संचालन खर्च खुद वहन करना शुरू कर देते हैं। मुख्यमंत्री ने गर्व से बताया कि आज मुंबई के सभी 23 केंद्र पूरी तरह से स्वयं-टिकाऊ हैं।
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यह वित्तीय सफलता इस मॉडल को शहरी महाराष्ट्र के लिए आदर्शवत और अनुकृति योग्य बनाती है। सुविधा केंद्रों को सुरक्षित और सम्मानजनक स्वच्छता प्रदान करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
इनमें झुग्गी-झोंपड़ी और अनौपचारिक बस्तियों की महिलाओं के लिए सुरक्षित शौचालय, बच्चों के लिए स्वच्छ स्थान और दिव्यांगों के लिए सुलभ डिजाइन का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि यह पहल न केवल मुंबई को ‘चकाचक’ बना रही है, बल्कि यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को सामाजिक कल्याण के लिए मिलकर काम करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सफल पीपीपी मॉडल जल्द ही राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी दोहराया जाएगा, जिससे पूरे महाराष्ट्र में स्वच्छता और स्वास्थ्य का स्तर ऊपर उठेगा।