अजित पवार और छगन भुजबल (फोटो: एक्स/पीटीआई)
Mumbai News: मराठा आरक्षण के संदर्भ में हैदराबाद गजेटियर को दी गई मान्यता तथा जारी किए गए राज्य सरकार के जीआर (सरकारी आदेश) की वजह से सत्तारूढ़ महायुति में शामिल उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की राकां में कलह बढ़ गई है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को साथ देनेवाले ओबीसी नेता खासकर कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल सरकार के निर्णय को ओबीसी समाज से धोखा मान रहे हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के तमाम आश्वासनों के बाद भी भुजबल जीआर का विरोध कर रहे हैं. भुजबल के बगावती तेवर से मुख्यमंत्री फडणवीस की नाराजगी बढ़ने लगी है. तो वहीं इसका असर अब डीसीएम अजीत के बर्ताव में भी देखने को मिल रहा है. सूत्रों का दावा है कि मंगलवार की रात होटल ट्राइडेंट में हुई पार्टी के विधायकों की बैठक में भुजबल के समक्ष अपनी नाराजगी सीधे तौर पर व्यक्त करने से अजीत खुद को रोक नहीं पाए.
स्थानीय निकाय चुनावों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई बैठक में डीसीएम अजीत ने मराठा आरक्षण को लेकर आजाद मैदान में भुजबल द्वारा अपनाए गए रुख पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि कुछ नेता किसी जाति विशेष को लेकर अतिवादी रुख अपना रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि खराब हो रही है और पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. अजीत ने आगे कहा कि चूंकि हर जिले की राजनीतिक स्थिति अलग होती है, इसलिए स्थानीय स्तर पर गठबंधन पर फैसले लेने का चलन रहा. बैठक में अजीत ने कहा कि किसानों को राहत देने के लिए पैकेज की घोषणा की गई है और विपक्ष के आरोपों के बावजूद सरकार के कामों को जनता तक पहुंचाएं. उन्होंने कहा कि चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए अगले हफ़्ते ज़िला अध्यक्षों की बैठक होगी. इस अवसर पर अजीत ने विधायकों को कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी भी दी.
इससे पहले आजाद मैदान पर मंगलवार को राष्ट्रीय ओबीसी आरक्षण हक्क परिषद के बैनर तले आयोजित आंदोलन का नेतृत्व करते हुए भुजबल ने कहा कि सरकार ने हैदराबाद गजेटियर को मान्यता देने के साथ 2 सितंबर 2025 को मराठा समाज को कुणबी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए गलत जीआर जारी किया था. उन्होंने कहा कि हम मराठा समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन दिया जा रहा आरक्षण गलत है. सरकार का जीआर मराठों के साथ-साथ ओबीसी के साथ भी धोखा है. इसलिए जीआर रद्द किया जाना चाहिए. भुजबल ने कहा कि सरकार को जितने सिर दिखते हैं, सरकार उतनी ताकत समझती है इसलिए आप किसी भी पार्टी में रहें लेकिन ओबीसी के लिए संघर्ष करें. समय कठिन आ गया है. हमें एकता का बल दिखाना चाहिए.
मराठा आंदोलन के संदर्भ में जारी जीआर के विरोध में विदर्भ के सभी ओबीसी संगठन एकजुट हो गए हैं. ओबीसी संगठनों ने विदर्भ के जिलों में बैठकें की और सरकार के इस फैसले का विरोध करने का संकल्प लिया. ओबीसी संगठनों ने 21 सितंबर को गोंदिया जिले में आक्रोश मोर्चा भी निकाला. पूर्वी विदर्भ के नागपुर, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली जिलों में हजारों लोगों ने इस सरकारी फैसले का विरोध करने के लिए मार्च निकाले. इसी तरह, पश्चिमी विदर्भ, यवतमाल, वाशिम, वर्धा, अमरावती, बुलढाणा, अकोला में भी बड़ी संख्या में ओबीसी बंधुओं ने 2 सितंबर को सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए रैलियां निकालीं. लेकिन ओबीसी संगठनों ने अब महाराष्ट्र की उप-राजधानी नागपुर में 10 अक्टूबर को एक विशाल मोर्चे के आयोजन का ऐलान किया है.
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