पहलगाम आतंकवादी हमला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों की नृशंस हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इस आतंकी हमले में मारे गए नौसेना अधिकारी विनय नरवाल सहित कई अन्य मृतकों की तस्वीरें और कहानिया सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन कहानियों में कुछ कहानियां ऐसे खुशनसीब लोगों भी सुर्खियां बन रही हैं जो आतंकी हमले का शिकार होने से बाल बाल बच गए। ऐसे लोगों में मुंबई के 25 पर्यटकों का एक समूह भी शामिल है, जो भूख लगने के कारण होटल में खाना खाने के लिए रुक गया था और आतंकी हमले के कुछ देर बाद बैसरन घाटी स्थित घटनास्थल पहुंचा था।
सैलानी राजेश टेकाले ने बताया कि वह नवी मुंबई के सीवुड से कश्मीर घूमने के लिए गए हैं। उनके साथ 25 लोग और हैं। उनके ग्रुप की भी योजना पहलगाम जाने की थी। उन्हें भी पहलगाम में उसी स्थान पर जाना था, जहां आतंकी हमला हुआ है। लेकिन भूख लगने के कारण वो सभी लोग रास्ते में एक होटल पर रुक गए। वहां खाना खाने के बाद आराम करने लगे। इतने में इस हमले की खबर आ गई। बाद में वहां पहुंचे सेना के जवानों ने उन लोगों को वहां से हटा दिया।
महाराष्ट्र के जलगांव शहर में ‘आकाशवाणी’ में बतौर अंशकालिक अनाउंसर के रूप में काम करने वाली नेहा उर्फ किशोरी वाघुलाडे आतंकी हमले में बाल-बाल बच गईं। अपने दोस्तों के साथ पहलगाम पहुंची नेहा का कहना है कि उन्होंने जीवन में जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे, जिसकी बदौलत वह आज सुरक्षित हैं। नेहा वाघुलाडे भी छुट्टियां मनाने निकले लोगों के एक समूह के साथ पहलगाम गई थीं और मंगलवार अपराह्न को वह भी वहां बैसरन घास के मैदान की प्राकृतिक सुंदरता को निहार रही थीं।
पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले मृतकों में डोंबीवली निवासी संजय लेले, अतुल मोने और हेमंत जोशी सहित महाराष्ट्र के 6 पर्यटक भी शामिल हैं। संजय, अतुल और हेमंत आजीवन अच्छे मित्र रहे और तीनों की मौत भी एक साथ ही हुई। अतुल, मुंबई के सेंट्रल रेलवे वर्कशॉप की व्हील शॉप में वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उनके एक अन्य सहकर्मी अभियंता दीपक कैपथ ने कहा कि मोने की मौत की खबर सुनकर हम न तो खा पाए और न ही सो पाए। हम रोज मिलते थे, एक-दूसरे से बात करते थे, साथ में खाना खाते थे और अचानक मौत ने उसे हमसे दूर कर दिया।
डोंबिवली-पूर्व स्थित गोग्रासवाड़ी निवासी मानस पिंगले भी घटना के समय कश्मीर में ही थे। ब्राह्मण महासंघ- डोंबिवली के पूर्व अध्यक्ष मानस पिंगले ने कहा कि वह भारत के स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात बेसरन घाटी क्षेत्र में शनिवार को अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। उन्हें वहां से वैष्णो देवी जाना था। लेकिन कश्मीर में बादल फटने के भूस्खलन होने की वजह से कई मार्ग बंद हो गए थे। इसलिए उन्हें पहलगाम में रुकना पड़ा था। उस दौरान वहां के निवासी एवं विक्रेताओं में ऐसी सुगबुगाहट चल रही थी कि इस खराब हुए मौसम के बाद घाटी में कुछ बुरा घटित होगा। लेकिन प्रशासन उस आहट को भांप नहीं पाया।
हमले में इंदौर निवासी सुशील नथानियल की दर्दनाक मौत हो गई। तो वहीं उनकी बेटी आकांक्षा घायल हुई हैं। एलआईसी में कार्यरत सुशील को घुटनों के बल बैठा कर कलमा पढ़ने को मजबूर किया गया लेकिन जब उन्होंने खुद को ईसाई बताया, तो आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी।
महाराष्ट्र से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
जिंदा बचे लोगों में असम यूनिवर्सिटी के बंगाली डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य भी शामिल है। देबाशीष हमले के दौरान घटना स्थल पर ही एक पेड़ के नीचे अपने परिवार के साथ लेटे थे। जब आतंकियों ने उन्हें पकड़ा तो वह कुछ बुदबुदा रहे थे। आतंकियों ने उनसे पूछा कि वे क्या कर रहे हैं तो वह जोर-जोर से कलमा पढ़ने लगे, जिसके बाद आतंकी उन्हें छोड़कर आगे बढ़ गए।