
महारेरा (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) ने घर खरीदारों को समयबद्ध राहत दिलाने और मुवावजा वसूली की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है.
यह एसओपी बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार तैयार की गई है और पहली बार ऐसे सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनसे लापरवाह बिल्डरों पर सीधे कानूनी शिकंजा कस सकेगा।
अक्सर घर खरीदार लंबे इंतजार के बाद भी कब्जा न मिलने, घटिया निर्माण, पार्किंग की कमी, तय सुविधाएँ न मिलने जैसी शिकायतों के चलते महारेरा पहुंचते हैं।
इन मामलों में एडजुडिकेटिंग ऑफिसर शिकायतों की सुनवाई कर मुआवजा, ब्याज या हर्जाने का आदेश देते हैं। लेकिन कई डेवलपर आदेश के बाद भी भुगतान से बचते रहते हैं। अब यह बचाव आसान नहीं होगा।
नई एसओपी के अनुसार, आदेश की तारीख से 60 दिनों के भीतर गृहखरीदार को मुआवजा मिल जाना चाहिए, यदि ऐसा नहीं होता, तो खरीदार को ‘नॉन-कम्प्लायंस’ की आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
यह आवेदन मिलने के चार सप्ताह के भीतर महारेरा सुनवाई करेगा। यदि पहली नजर में साफ होता है कि डेवलपर आदेश का पालन नहीं कर रहा है, तो उसे ‘उचित समय’ दिया जाएगा।
यह समय बीतने पर भी यदि वह भुगतान नहीं करता, तो उससे उसकी सभी चल-अचल संपत्तियों, बैंक खातों और निवेशों की पूरी सूची शपथ-पत्र के रूप में मांगी जाएगी।
यदि डेवलपर संपत्तियों का ब्योरा देता है, पर भुगतान नहीं करता, तो महारेरा संबंधित जिले के कलेक्टर को रिकवरी वॉरंट भेजेगा। इसके तहत बिल्डर को संपत्तियों, बैंक खातों या अन्य निवेशों को जब्त/अटैच कर वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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सबसे सख्त कदम यह है कि यदि डेवलपर अपनी संपत्ति और खातों की जानकारी ही देने से इंकार करता है, तो मामला सीधे संबंधित क्षेत्र की प्रिंसिपल सिविल कोर्ट को भेजा जाएगा।
सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार कोर्ट ऐसे डेवलपर को अधिकतम 3 महीने की जेल की सजा सुना सकता है। महारेरा का मानना है कि इस प्रक्रिया से शिकायतकर्ताओं को वास्तविक राहत मिलेगी और आदेशों पर त्वरित अनुपालन सुनिश्चित होगा।






