महाराष्ट्र छात्र आत्महत्या रोकथाम (pic credit; social media)
Student Suicide Prevention Maharashtra: कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का तनाव अब चिंता का विषय बन गया है। छात्रों में आत्महत्या की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है और इसे रोकने के लिए राज्य सरकार राज्य-स्तरीय कोड लाने की तैयारी में है। यह कदम केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय के निर्देश के बाद उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के लिए निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नीतियां राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों पर लागू होंगी, सिर्फ कृषि विश्वविद्यालयों को छोड़कर।
राज्य सरकार ने उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को इस पहल का नोडल एजेंसी नियुक्त किया है। कोड तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता एचएसएनसी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. हेमलता बागला कर रही हैं।
समिति में शामिल प्रमुख सदस्य हैं: डॉ. अस्मिता चिटनिस (पूर्व निदेशक, सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिज़नेस, पुणे), डॉ. नयना निमकर (निदेशक, सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स साइंसेज), डॉ. नेहा जगतियानी (प्राचार्य, आर.डी. एंड एस.एच. नेशनल कॉलेज, बांद्रा) और अन्य वरिष्ठ शिक्षाविद।
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मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग के निदेशक डॉ. सुनील पाटिल समिति के सदस्य-सचिव होंगे। समिति का मकसद छात्रों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और शिकायत निवारण सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कोड से न केवल छात्रों को सहारा मिलेगा, बल्कि विश्वविद्यालयों में सकारात्मक और सुरक्षित वातावरण भी विकसित होगा।
सरकार का यह कदम छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक राहत की खबर है, क्योंकि लंबे समय से छात्रों में बढ़ते मानसिक दबाव और तनाव ने उन्हें असुरक्षित महसूस करवा दिया था। विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का मानना है कि यदि यह कोड समय पर लागू किया गया तो यह भविष्य में छात्रों के जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डाल सकता है।