छगन भुजबल (pic credit; social media)
Mumbai News: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति सरकार ने जब से मराठा आरक्षण के मुद्दे पर हैदराबाद गैजेट को मंजूरी देने वाला जीआर जारी किया है, तब से एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल नाराज हैं। गुरुवार को हाईकोर्ट ने हैदराबाद गैजेट जीआर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सिर्फ प्रभावित ही कोर्ट आ सकते हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि मराठा समाज को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के शासनादेश से प्रभावित लोग (ओबीसी) ही चुनौती दे सकते हैं। किसी भी अन्य व्यक्ति के लिए रास्ता खुला नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट से मिले झटके पर भुजबल ने कहा कि खारिज की गई याचिका जनहित याचिका थी, कोर्ट ने रिट याचिका दायर करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि आपने पहले ही विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों के माध्यम से अध्ययन की एक रिट याचिका दाखिल की है। यह निश्चित रूप से आपको सफलता दिलाएगी। वहीं, दूसरी ओर राज्य में मराठा बनाम ओबीसी के बीच दो घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने चिंता बढ़ा दी है।
मराठा समुदाय को कुनबी बनाने वाले जीआर पर जहां घमासान जारी है, वहीं नांदेड़ में दोनों समुदायों में सौहार्द कायम रखने के लिए बुलाई गई शांति समिति में ही विवाद हो गया। बैठक में मराठा और ओबीसी समाज के लोग आपस में भिड़ गए, इस घटना में 3 लोग घायल हो गए। यह घटना लोहा तहसील के रिसगांव में सुबह घटी। मालकोली पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। पुलिस के अनुसार, घायलों को हल्की चोटें आई हैं। गांव में तनावपूर्ण शांति का माहौल है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
हाल ही में लातूर में एक ओबीसी आरक्षण बचाने से जुड़े कार्यकर्ता ने आत्महत्या की थी। उसके बाद छगन भुजबल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। अब मराठा बनाम ओबीसी के बीच एक और दुखद घटना हुई है। ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 55 वर्षीय बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली। मृतक को यह चिंता थी कि अपने बच्चों और पोते को नौकरी नहीं मिलेगी। इसी सोच से मानसिक तनाव में आकर उन्होंने अंबाजोगाई तहसील के बर्दापुर में खेत में बाभुल के पेड़ से फांसी लगाई। मृतक की पहचान निवृत्ती पांडुरंग यादव के रूप में हुई है।
छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण का जीआर रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि मराठा को जैसा आरक्षण मिल रहा है, वैसा ही ओबीसी को भी दिया जाए। नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के कार्यकर्ता सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने राज्य सरकार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधा। भुजबल ने कहा कि मराठा को पहले से आरक्षण प्राप्त है और जो दूसरा जीआर निकाला गया, उसे मंत्रिमंडल में चर्चा के लिए लाया ही नहीं गया। इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
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उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण पर शरद पवार की भूमिका अब पहले जैसी नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार में गठित मराठा समिति में अजीत पवार, जयंत पाटिल, एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, अशोक चव्हाण, बालासाहब थोरात शामिल थे और उस समिति के संरक्षक शरद पवार थे। तब उन्होंने यह सवाल नहीं उठाया कि समिति में केवल मराठा नेता ही क्यों शामिल हैं? भुजबल ने कहा कि शरद पवार ने राज्य में मंडल आयोग की सिफारिश लागू कराई थी। शिवसेना छोड़कर मैं उनके साथ गया और हमेशा उनका साथ दिया, लेकिन ओबीसी को लेकर उनकी भूमिका अब बिल्कुल अलग नज़र आ रही है।