
कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: AI डिजाइन)
Maharashtra Political Developments Ahead Of BMC Elections: महाराष्ट्र की नगर परिषदों व नगर पंचायतों के चुनाव में मिली महायुति को बंपर जीत से विपक्ष की महाविकास आघाड़ी में खलबली मच गई है। इन चुनावों में विपक्ष को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यदि यही ट्रेंड सूबे की 29 महानगरपालिका चुनावों में भी कायम रहा, तो विपक्ष को चारों खाने चित होना पड़ेगा। सत्ताधारी दलों की इस जीत ने खासतौर पर उद्धव और राज ठाकरे की टेंशन बढ़ा दी है। उन्हें लग रहा है कि बीएमसी चुनाव जीतने के लिए उन्हें अपनी रणनीति पर फिर से समीक्षा करनी होगी। अब तक ठाकरे बंधु कांग्रेस को भाव नहीं दे रहे थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं और कांग्रेस को साथ लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
ठाकरे बंधुओं के लिए मनपा चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। यह चुनाव खासकर उद्धव ठाकरे की पार्टी के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती है। बीएमसी में शिवसेना (अविभाजित) की लगभग 25 साल तक सत्ता रही है। यदि बीएमसी हाथ से गई तो ठाकरे गुट के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं होगा। मनसे प्रमुख राज ठाकरे का एक भी सांसद, विधायक या पूर्व नगरसेवक नहीं हैं। बीएमसी में साल 2017 में 7 नगरसेवक चुने गए थे, जो साथ छोड़ चुके हैं।
राज्य के मनपा चुनावों में अलग-अलग रंग दिखाई दे रहे हैं। राज्य में 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव में में महायुति के घटक दलों को बड़ी सफलता मिली है। महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों में निराशा है। मुंबई में कांग्रेस ने महाविकास आघाड़ी से खुद को अलग कर लिया है। मराठी मुस्लिम समीकरण को तब्बजों देने के संभावित फार्मूले के बीच नगर परिषदों व नगर पंचायतों के चुनाव के नतीजों ने ठाकरे बंधुओं के खेमे में हलचल मचा दी है।
महाविकास आघाड़ी के घटक दलों में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा अच्छा रहा है। इसके बाद ठाकरे बंधुओं की पार्टी के सुर बदल गए हैं। यूबीटी सांसद संजय राउत ने यह कह कर चौंका दिया है कि कांग्रेस को फिर से महाविकास आघाड़ी में लाने की कोशिश की जाएगी। आने वाले 72 घंटे में कुछ भी हो सकता है। वे कांग्रेस को साथ लाने की कोशिश करेंगे।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत के अनुसार ठाकरे बंधुओं के सीट बंटवारे पर चर्चा खत्म हो गई है। सीटों के बंटवारे पर फैसला हो गया है। जो दिक्कतें थीं, उन्हें ठाकरे भाइयों ने मिलकर दूर कर लिया है। हम अगले एक-दो दिनों में गठबंधन की घोषणा करेंगे।
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संजय राउत ने कहा कि वे कांग्रेस से संपर्क करेंगे। कांग्रेस को साथ लाने की कोशिशें आखिर तक जारी रहेंगी। उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली में उनके हाईकमान से बात की है, उन्हें मनाने का काम चल रहा है। हमारे बीच कोई कड़वाहट नहीं है। भले ही हम अलग-अलग लड़ें, लेकिन हम साथ हैं, राज्य की राजनीति में 72 घंटे में बड़े बदलाव हो सकते हैं। इधर एनसीपी (एसपी) मुबई में ठाकरे बंधुओं के साथ गठबंधन के पक्ष में है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नेता शरद पवार की एनसीपी को भी निकाय चुनावों में बड़ा झटका लगा है। पार्टी 10 के आंकड़े तक ही पहुंच पाई है। एनसीपी (एसपी) भी सकते में है। यदि भाजपा की अगुवाई वाली महायुति को रोकना है तो कांग्रेस की कमी महाविकास आघाड़ी के सभी दलों को खल रही है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस को साथ लाने के लिए शरद पवार क्या रूख अपनाते हैं। पवार विपक्ष का संकट मोचक बन सकते हैं। सोमवार को वाईबी चव्हाण सभागृह में मविआ की होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हुई






