महाराष्ट्र चुनाव (सौजन्य-नवभारत)
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। सियासी गठबंधनों में शामिल राजनीतिक दलों के बीच सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है, लेकिन इस चुनाव में उत्तर भारतीय वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी ने विशेष रणनीति बनाई है।
उत्तरभारतीय वोटरों के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित यूपी-बिहार के कई अन्य बड़े नेताओं की रैलियां आयोजित होनी है, लेकिन इसके पहले मुंबई में अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए बीजेपी ने यूपी-बिहार के नेताओं की फौज उतार दी है। यूपी-बिहार बीजेपी के कई मौजूदा एवं पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक व अन्य प्रमुख नेता मुंबई की गलियों में घूम रहे हैं और वोट मांग रहे हैं।
इनमें चंदौली के बाहुबली नेता सुशील सिंह, यूपी में ब्राह्मण नेताओं में उभरता हुआ चेहरा एवं देवरिया के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, पूर्व मंत्री आनंद शुक्ल, रमेश मिस्र का नाम विशेष तौर पर लिया जा सकता। खास बात यह है कि ये तमाम नेता उसी क्षेत्र में महीने भर रहकर बीजेपी के उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए जबरदस्त तैयारियों में जुटी है।बीजेपी की ओर से विभिन्न वर्गों को साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इनमें उत्तर भारतीय वोट बैंक भी एक प्रमुख घटक माना जा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार, मुंबई के 36 विधानसभा क्षेत्रों में 30 से 35 लाख उत्तर भारतीय प्रवासी रहते हैं। खास बात यह है, कि दहिसर, बोरीवली, मागाठणे, कांदिवली-पूर्व, चारकोप, गोरेगांव, दिंडोशी, जोगेश्वरी-पूर्व, वर्सोवा, अंधेरी-पूर्व, कलीना, सांताक्रूज़ सहित मुंबई में दर्जनभर से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में उत्तरभारतीय वोटर चुनाव परिणाम को बदलने की क्षमता रखते हैं।
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2014 से पहले उत्तरभारतीय वोटर कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन 2014 और 2019 में ये वोट बैंक खिसककर बीजेपी के साथ चला गया।
हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक कुछ हद तक फिर से कांग्रेस के पाले में जाता प्रतीत हुआ। इसलिए बीजेपी विधानसभा चुनाव में उत्तर भारतीय वोट बैंक पर विशेष ध्यान दे रही है।
आमतौर पर अप्रैल-मई में स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश, यूपी-बिहार में फसलों की कटाई तथा वैवाहिक समारोहों के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तर भारतीय अपने गांव चले जाते हैं। अक्टूबर-नवंबर में दिवाली के त्योहार के दौरान भी लोग यूपी-बिहार जाते हैं लेकिन इस बार चुनाव दिपावली के करीब 17 दिन बाद पड़ रहा है। ऐसे में ज्यादातर उत्तर भारतीय वोटर मुंबई में ही रहेंगे। गांव जानेवाले लोग भी स्कूलों की छुट्टियां खत्म होने के कारण वापस लौट आएंगे। ऐसे में यूपी-बिहार के नेता के प्रचार के प्रभाव का लाभ बीजेपी को बड़े स्तर पर मिल सकता है।
नेता | प्रांत | पद | विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी |
---|---|---|---|
रत्नाकर राणा ठाकुर | बिहार | पूर्व विधायक | बोरीवली |
डॉ. अवधेश सिंह | उत्तर प्रदेश | विधायक | दहिसर |
छट्ठूराम | उत्तर प्रदेश | पूर्व विधायक | दहिसर |
दयाराम चौधरी | उत्तर प्रदेश | पूर्व विधायक | दहिसर |
प्रदीप सिंह | बिहार | सांसद | दहिसर |
संजय सिंह टायगर | बिहार | पूर्व विधायक | मागाठणे |
गोपाल ठाकुर | बिहार | सांसद | कांदिवली- पूर्व |
रमेशचंद्र मिश्र | उत्तर प्रदेश | विधायक | चारकोप |
भानुप्रताप सिंह | उत्तर प्रदेश | पूर्व जिलाध्यक्ष | मालाड-पश्चिम |
ओमप्रकाश मिश्रा | उत्तर प्रदेश | पूर्व जिलाध्यक्ष | मालाड-पश्चिम |
के.के. सिंह | उत्तर प्रदेश | पूर्व जिलाध्यक्ष | मालाड-पश्चिम |
प्रेम रंजन पटेल | बिहार | पूर्व विधायक | जोगेश्वरी |
पवन जायसवाल | बिहार | विधायक | दिंडोशी |
आनंदस्वरूप शुक्ल | उत्तर प्रदेश | पूर्व मंत्री | गोरेगांव |
रमेश जैसवाल | उत्तर प्रदेश | विधायक | वर्सोवा |
सुशील सिंह | उत्तर प्रदेश | विधायक | अंधेरी-पूर्व |
शलभ मणि त्रिपाठी | उत्तर प्रदेश | विधायक | मुलुंड |
सुरेंद्र चौरसिया | उत्तर प्रदेश | विधायक | कोलाबा |
रामपुर कारखाना विधानसभा, देवरिया के विधायक सुरेंद्र चौरसिया ने कहा, ” मुझे कोलाबा विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी बुथ स्तर, शक्ति केंद्र और वार्ड प्रमुखों से संपर्क अभियान चला रहा हूं। जहां-जहां स्थिती कमजोर दिखाई पड़ेगी, वहां पर रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। वैसे तो उत्तर भारतीय वोटरों को साधने की मुहिम चलाई जाएगी। साथ ही हिंदू, मराठी और गुजराती वोटरों से संपर्क साधने के लिए अभियान चलाया जाएगा।”
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