महाराष्ट्र में भूमि मापन मामलों का निपटारा 30 दिनों के भीतर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि राज्य में भूमि माप के मामले अब 30 दिनों के भीतर निपटाये जाएंगे। बावनकुले ने कहा कि पहले एक मामले को पूरा करने में लगभग 90 से 120 दिन लगते थे, जिससे नागरिकों को असुविधा होती थी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से लगभग 3.12 करोड़ लंबित भूमि माप मामलों में तेजी आने की उम्मीद है। नयी प्रणाली में विभिन्न प्रकार के भूमि सर्वेक्षण शामिल होंगे।
बावनकुले ने कहा, ‘‘राजस्व विभाग ने भूमि माप के मामलों के निपटारे के लिए 30 दिन की समय-सीमा तय की है। लाइसेंस प्राप्त निजी सर्वेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी और उनके माप का सत्यापन और प्रमाणीकरण सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।” मंत्री ने कहा कि नयी प्रणाली के तहत उच्च तकनीकी योग्यता वाले व्यक्तियों को निजी सर्वेक्षक के रूप में लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।
Revenue Dept’s Bold Reform: 30-Day Land Survey Resolution! In a transformative move, the Revenue Department has announced a streamlined approach to expedite critical land-related processes, including land partitioning, boundary demarcation, non-agricultural conversion,… pic.twitter.com/PasLzqWkVM — Chandrashekhar Bawankule (@cbawankule) October 11, 2025
उन्होंने कहा, ‘‘उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भूमि माप पूरा करने के बाद, कानूनी वैधता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सर्वेक्षण दस्तावेजों की जांच और प्रमाणीकरण तालुका भूमि रिकॉर्ड निरीक्षकों, भूमि रिकॉर्ड के उप अधीक्षकों या शहरी भूमि माप अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।”मंत्री ने कहा, ‘‘सरकारी सर्वेक्षकों की कमी के कारण माप में देरी की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सुझाव पर यह निर्णय लिया गया है। पहले, एक मामले को पूरा करने में लगभग 90 से 120 दिन लग जाते थे, जिससे नागरिकों को असुविधा होती थी।”
राजस्व विभाग ने बताया कि प्रत्येक ज़िले में लगभग 150 निजी सर्वेक्षक नियुक्त किए जाएँगे और सटीकता व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उनके काम को सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। मंत्री बावनकुले ने कहा, “सरकारी सर्वेक्षकों की कमी के कारण सर्वेक्षण में देरी की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सलाह पर यह निर्णय लिया गया है। पहले, एक मामले को पूरा करने में लगभग 90 से 120 दिन लगते थे, जिससे नागरिकों को असुविधा होती थी।”
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बावनकुले ने आगे कहा कि सरकार “पहले माप, फिर पंजीकरण और म्यूटेशन” के सिद्धांत के तहत भूमि लेनदेन के लिए एक नई प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य बिक्री समझौते में भूमि के विवरण और मौके पर मौजूद वास्तविक भूमि में विसंगतियों के कारण उत्पन्न होने वाले विवादों से बचना है।